महाराष्ट्र सरकार में चल रही खटपट, चार दिनों में दूसरी बार ठाकरे से मिले पवार

By Team MyNation  |  First Published Jul 11, 2020, 6:26 AM IST

राज्य में शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस की गठबंधन सरकार है। लेकिन राज्य में सीएम ठाकरे कांग्रेस की तुलना में एनसीपी को ज्यादा तवज्जो देते हैं। हालांकि इस बात को लेकर कांग्रेस कई बार सवाल उठा चुकी हैं।

मुंबई। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार में सबकुछ ठीक रहा है। फिलहाल इसको लेकर कई बार सवाल उठे हैं। लेकिन एक बार राज्य में फिर सियासी हलचल पैदा हो रही है। क्योंकि राज्य में सरकार की सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुखिया शरद पवार पिछले चार दिनों में दो बार मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मिल चुके हैं। पवार एक बार फिर राज्य के सीएम उद्धव ठाकरे से उनके आधिकारिक आवास 'वर्षा' में मिले हैं। फिलहाल पवार और शिवसेना प्रमुख ठाकरे के बीच चार दिनों में यह दूसरी मुलाकात हैं और माना जा रहा है कि दोनों दलों के बीच पैदा हो रहे मतभेदों को दूर करने के लिए पवार ने ठाकरे से मुलाकात की है।

राज्य में शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस की गठबंधन सरकार है। लेकिन राज्य में सीएम ठाकरे कांग्रेस की तुलना में एनसीपी को ज्यादा तवज्जो देते हैं। हालांकि इस बात को लेकर कांग्रेस कई बार सवाल उठा चुकी हैं। वहीं पिछले दिनों अहमदनगर जिले की पारनेर नगर परिषद में शिवसेना के पांच पार्षद ने पाला बदलते हुए एनसीपी में शामिल हो गए थे। इसके बाद माना जा रहा था कि ठाकरे इस बात को लेकर नाराज हैं। क्योंकि सरकार में सहयोगी दल होने के बावजूद एनसीपी ने इन नेताओं को पार्टी में शामिल कराया।

असल में राज्य के कुछ शहरों में कोरोना के कहर को देखते हुए राज्य सरकार ने जो लॉकडाउन लागू किया है। उसको लेकर भी एनसीपी और शिवसेना में मतभेद की अफवाहें आ रही हैं। हालांकि एनसीपी ने इन बातों को खारिज किया है। एनसीपी का कहना है कि लॉकडाउन लागू करने से पहले राज्य सरकार को राज्य के नौकरशाहों से नहीं बल्कि स्थानीय निर्वाचित जन प्रतिनिधियों से सलाह लेनी चाहिए थी।

कांग्रेस और एनसीपी में चल रहे तल्ख रिश्ते

हालांकि राज्य में गठबंधन के घटक दलों में ठीक रिश्ते नहीं चल रहे हैं। पिछले दिनों एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने चीन के मुद्दे पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी की आलोचना की थी। जिसके बाद कांग्रेस ने कहा था कि अगर कांग्रेस ने गलती की थी तो उस गलती को शरद पवार को सुधारना चाहिए था। क्योंकि वह देश के रक्षा मंत्री रह चुके हैं।

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