दिल्ली विधानसभा चुनावों में आप की जीत ने फिर से चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को मजबूत किया है। हालांकि पहले ये कयास लगाए जा रहे थी कि चुनाव के बाद पीके या तो टीएमसी में शामिल हो सकते हैं या फिर वह आप का दामन थामेंगे। लेकिन आप की जीत ने प्रशांत किशोर के लिए कई सियासी पार्टियों के दरवाजे खोल दिए हैं।
नई दिल्ली। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कुछ दिनों पहले कहा था कि जल्द ही अपने राजनैतिक भविष्य के लिए फैसला करेंगे। किशोर ने कहा था कि दिल्ली विधानसभा के बाद वह इसको लेकर खुलासा करेंगे। लेकिन अब एक बार फिर दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बन गई है। लिहाजा उम्मीद की जा रही है कि पीके जल्द ही इस बारे में खुलासा करेंगे। लेकिन इतना तय है कि दिल्ली में आप की जीत प्रशांत किशोर को ऑक्सीजन दे गई है। क्योंकि इस चुनाव में उनका भविष्य दांव कर लगा था। पीके दिल्ली में आप के चुनावी कैंपेनर थे। जबकि कुछ दिन पहले ही उन्हें जनता दल यूनाइटेड से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था।
दिल्ली विधानसभा चुनावों में आप की जीत ने फिर से चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को मजबूत किया है। हालांकि पहले ये कयास लगाए जा रहे थी कि चुनाव के बाद पीके या तो टीएमसी में शामिल हो सकते हैं या फिर वह आप का दामन थामेंगे। लेकिन आप की जीत ने प्रशांत किशोर के लिए कई सियासी पार्टियों के दरवाजे खोल दिए हैं।
पीके और उनकी कंपनी ने सबसे पहले भाजपा के लिए चुनाव प्रचार किया था और 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रसिद्ध 'चाय पे' चर्चा को लेकर उनका देशभर में प्रचार किया और भाजपा लोकसभा चुनाव जीतने में कामयाब रही। इसके बाद पीके ने बिहार में जनता दल यूनाइटेड, उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और सपा, पंजाब में कांग्रेस, आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस और उसके बाद दिल्ली में आप के लिए चुनावी कैंपेन किया। जिसमें इन दलों को सफलता मिली।
लेकिन जदयू से निकाले जाने के वक्त ही पीके ने कहा था कि वह दिल्ली चुनाव के बाद अपने भविष्य को लेकर खुलासा करेंगे। लिहाजा माना जा रहा है कि वह पूरी तरह से आप में शामिल हो सकते हैं। हालांकि पीके पश्चिम बंगाल में भी टीएमसी के चुनाव प्रचारक हैं। लेकिन ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल के बीच रिश्ते मधुर होने के कारण उनके रिश्तों में किसी भी तरह की दिक्कत नहीं होगी।