#RafaleDeal राजनैतिक फायदे के लिए पत्रकारिता का सहारा

By Team MyNationFirst Published Feb 8, 2019, 4:43 PM IST
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मशहूर अखबार ‘द हिंदू’ विवादों में घिरा हुआ है। क्योंकि उसने रक्षा मंत्रालय की एक रिपोर्ट का सिर्फ आखिरी हिस्सा छापा है। जिसको आधार बनाकर विपक्ष ने केन्द्र सरकार पर आरोपों की बौछार कर दी है। जिसपर रक्षा मंत्री ने नाराजगी जाहिर की है। माय नेशन आपको दिखाएगा अधूरी और पूरी खबर का पूरा सच। 

राफेल डील पर रक्षा मंत्रालय की अधूरी इंटरनल रिपोर्ट ‘द हिंदू’ जैसे प्रमुख समाचार पत्र में छपने के बाद बवाल मच गया। 
संसद में लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और बाहर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस रिपोर्ट को आधार बनाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधना शुरु कर दिया।

जिसके बाद रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने सामने आकर सच बताया। दरअसल ‘द हिंदू’ ने अधूरी रिपोर्ट छापी, जिससे भ्रम पैदा हुआ। 

रक्षा मंत्री ने समाचार पत्र 'द हिंदू' में छपी रिपोर्ट पर सवाल उठाया और इसे 'सेलेक्टिव' बताया। रक्षा मंत्री ने कहा कि इस रिपोर्ट की सत्यता एवं तथ्य के बारे में उनके कोई संपर्क नहीं किया और न ही उनकी राय ली गई। सीतारमन ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र ने 'सेलेक्टिव तरीके' से अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की है। 

Defence Minister Nirmala Sitharaman rejected Congress President Rahul Gandhi's allegation based on a media report that claimed the Prime Minister's Office ran parallel negotiations with France on the multi-billion Rafale fighter jet deal

Read story | https://t.co/rC5rSTFiUp pic.twitter.com/0woM31GULX

— ANI Digital (@ani_digital)

अखबार ने अपनी रिपोर्ट में जो दावा किया है कि रक्षा मंत्रालय ने इसको लेकर आपत्ति जताई कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने राफेल विमान सौदे को लेकर फ्रांस के साथ समानांतर बातचीत की जिससे इस बातचीत में रक्षा मंत्रालय का पक्ष कमजोर हुआ। दरअसल समाचार पत्र में रक्षा मंत्रालय की जो रिपोर्ट प्रकाशित हुई है उसमें पत्र का निचला हिस्सा नहीं है। 

Defence Minister Nirmala Sitharaman: A newspaper published a file noting written by Defence Secretary, If a newspaper publishes a noting then the ethics of journalism will demand that the newspaper publishes the then Defence Minister’s reply as well. pic.twitter.com/ZErHRRCkIq

— ANI (@ANI)

जबकि रक्षा मंत्रालय की नोटिंग के अंतिम पैरे में कहा गया है कि पीएमओ और फ्रांस के राष्ट्रपति का कार्यालय केवल इस डील की प्रगति की निगरानी कर रहा है। 

 लेकिन हाथ से लिखे गए इस नोटिंग को रिपोर्ट में जगह नहीं दी गई है। इसमें यह कहीं नहीं लिखा है कि इस डील के लिए पीएमओ ओर फ्रांस की सरकार के बीच समानांतर बातचीत चल रही थी। इसमें यही लिखा है कि दो सरकारें केवल इस राफेल डील की प्रगति की निगरानी कर रही हैं। 

इस रिपोर्ट का निचला हिस्सा पढ़ने से इस पूरे मामले की एक दूसरी तस्वीर पेश होती है।

ऐसे में सवाल उठता है कि मात्र राजनीतिक फायदे के लिए इस तरह से अधूरी रिपोर्ट छापी गई। 

लेकिन 'द हिंदू' अखबार अपने स्टैण्ड पर कायम है। संपादक एन राम ने रक्षा मंत्री के आरोपों का जवाब दिया है। 

N Ram, Chairman of The Hindu Group: I don’t need any certificate from Nirmala Sitharaman. Now they are in big trouble&trying to cover up. My only advice to her would be, ‘You are not involved in transaction, why you take upon yourself the burden of justifying the indefensible?' pic.twitter.com/dzde151bZo

— ANI (@ANI)

हालांकि उनके अखबार की इस रिपोर्ट में तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का बयान भी नहीं है। पर्रिकर का बयान भी रक्षा मंत्रालय की इस रिपोर्ट में है लेकिन उनकी बात को समाचार पत्र में जगह नहीं दी गई है।

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