'जय श्री राम' पर आक्रामक प्रतिक्रिया से खराब हुई छवि को सुधारने के लिए साधा प्रशांत किशोर से संपर्क। 2021 के विधानसभा चुनाव के लिए शुरू की तैयारी।
लोकसभा चुनाव में भाजपा से मिले झटके के बाद बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अभी से 2021 के विधानसभा चुनाव की रणनीति बनाने में जुट गई हैं। अपनी और टीएमसी सरकार की छवि सुधारने के लिए ममता ने प्रख्यात चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर यानी पीके से संपर्क साधा है। दोनों नेताओं के बीच इसे लेकर एक घंटे लंबी बैठक चली है। इस घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों के अनुसार प्रशांत किशोर बंगाल में ममता को अपनी सेवाएं देने के इच्छुक नजर आ रहे हैं। हालांकि अभी यह साफ नहीं हो सकता है कि टीएमसी ने पीके से चुनावी रणनीति बनाने के लिए संपर्क किया या उन्होंने खुद से ऐसा करने की पेशकश की है।
Sources: Political Strategist Prashant Kishor to officially start working with West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee after one month https://t.co/gcV1EjK3z1
— ANI (@ANI)बताया जा रहा है कि ममता बनर्जी बंगाल में भाजपा से मिल रही चुनौती के बाद किसी भी तरह का जोखिम नहीं उठाना चाहती। आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी को विधानसभा और लोकसभा चुनाव में जबरदस्त जीत दिलाने वाले प्रशांत किशोर की ममता से मुलाकात के बाद यह साफ हो गया है कि वह कभी भी टीएमसी के लिए काम शुरू कर सकते हैं।
पिछले कुछ समय से बंगाल में भाजपा का जनाधार मजबूत हुआ है। हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण के लिए भगवा पार्टी ममता बनर्जी की छवि हिंदू विरोधी दिखाने में सफल रही है। भाजपा की इस रणनीति ने उसे लोकसभा चुनाव में सफलता दिलाई। यहां की 42 सीटों में से भाजपा ने 18 सीटें झटक लीं, जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को महज 2 सीटें ही मिली थीं। लोकसभा चुनाव के बाद टीएमसी के कई विधायकों ने पार्टी छोड़ी है। वहीं 'जय श्री राम' के नारे को लेकर ममता की आक्रामक प्रतिक्रिया ने भी उनके खिलाफ लोगों में माहौल बनाया है। संभवतः यही वजह है कि ममता अपनी छवि को सुधारने के लिए पीके जैसे रणनीतिकार की सेवाएं लेने को बाध्य हुई हैं।
इससे पहले प्रशांत किशोर ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ काम किया था। उन्होंने प्रशांत किशोर को कैबिनेट रैंक दे रखा था। 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के चुनाव अभियान की रणनीति बनाकर पीके चर्चा में आए थे। उन्होंने भाजपा के 2014 के बहुचर्चित नारे 'अबकी बार मोदी सरकार' का श्रेय दिया जाता है। हालांकि बाद में पीके और भाजपा के रास्ते अलग हो गए।