विदेशों में परचम फहरा रहे हैं भारतीय: प्रियंका राधाकृष्णन बनीं न्यूजीलैंड में पहली भारतीय मूल की मंत्री

By Team MyNation  |  First Published Nov 3, 2020, 7:04 AM IST

 प्रियंका न्यूजीलैंड में भारतीयों के बीच में काफी प्रसिद्ध हैं और वह लगातार घरेलू हिंसा की पीड़ित महिलाओं और शोषण का शिकार हुए प्रवासी मजूदरों को लेकर आवाज उठाती रहती हैं। हालांकि इन लोगों की आवाज को अनसुना कर दिया जाता है। 

नई दिल्ली। विदेशों में रह रहे भारतीय देश का नाम रौशन कर रहे हैं। बिट्रेन समेत कई देशों के बाद अब न्यूजीलैंड में भारतीय मूल की महिला मंत्री बनी है। भारतीय मूल की प्रियंका राधाकृष्णन न्यूजीलैंड में मंत्री पद पर आसीन होने वाली भारतीय मूल की पहली सदस्य बन गई हैं। न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न ने अपने कैबिनेट का गठन कर इसमें पांच नए मंत्रियों को शामिल किया, जिसमें प्रियंका राधाकृष्ण भी हैं।

जानकारी के मुताबिक भारतीय मूल की प्रियंका ने स्कूल तक सिंगापुर में पढ़ाई की और फिर आगे की पढ़ाई के लिए वह न्यूजीलैंड चली गईं और वहां पर उन्होंने राजनीति में अपना कैरियर बनाया। प्रियंका न्यूजीलैंड में भारतीयों के बीच में काफी प्रसिद्ध हैं और वह लगातार घरेलू हिंसा की पीड़ित महिलाओं और शोषण का शिकार हुए प्रवासी मजूदरों को लेकर आवाज उठाती रहती हैं। हालांकि इन लोगों की आवाज को अनसुना कर दिया जाता है। वह पहली बार लेबर पार्टी की 2017 में वह संसद की सदस्य चुनी गई थीं और इसके बाद 2019 को उन्हें जातीय समुदायों के लिए बनाई गई संसदीय का निजी सचिव नियुक्त किया गया था। प्रियंका राधाकृष्णन अपने पति के साथ आकलैंड में रहती हैं और वह  सामुदायिक एवं स्वैच्छिक क्षेत्र और सामाजिक विकास एवं रोजगार मंत्रालय की मंत्री बनी हैं। जानकारी के मुताबिक देश के प्रधानमंत्री अर्डर्न ने नए मंत्रियों में युवा और जमीनी स्तर पर कार्य करने वालों को जगह दी है।

हिमाचल प्रदेश के डॉक्टर गौरव शर्मा बने सांसद

हाल ही में न्यूज़ीलैंड की संसद के लिए हुए चुनाव में एक भारतीय बतौर सांसद बने हैं। हिमाचल प्रदेश के मूल निवासी डॉक्टर गौरव शर्मा को हैमिल्टन क्षेत्र से चुनाव जीतने के बाद संसद सदस्य बनने का गौरव मिला है। डॉ. शर्मा करीब 20 साल पहले न्यूज़ीलैंड चले गए थे और मेडिसिन और सर्जरी में बैचलर की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने वहां पर खुद को राजनीति में स्थापित किया और इसके बाद वह लेबर पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीते हैं। 
 

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