अगर प्रियंका गांधी को भी हल्की राजनीति ही करनी है तो राहुल क्या बुरे थे?

By Rahul SharmaFirst Published Mar 19, 2019, 5:13 PM IST
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जिस दिन प्रियंका गांधी ने राजनीती में पूर्णतः सक्रिय होने की घोषणा की थी उसी दिन से उनकी तुलना उनकी दादी इंदिरा गांधी से की जा रही थी। हर कोई प्रियंका गांधी की नाक से लेकर उनके चेहरे और सम्पूर्ण वेश-भूषा की तुलना इंदिरा गांधी से करते आये हैं। लेकिन किसी ने यह नहीं बताया कि प्रियंका की वैचारिक क्षमता उनके भाई राहुल से मिलती जुलती है।  

नई दिल्ली:  प्रियंका गांधी वाड्रा इन दिनों चुनाव प्रचार के लिए उत्तर प्रदेश के दौरे पर हैं, कल उन्होंने वाराणसी का दौरा किया वाराणसी में अपने भाषण के दौरान उन्होंने कई अपरिपक्व बातें कहीं| हालांकि जिस दिन प्रियंका गांधी ने राजनीती में पूर्णतः सक्रिय होने की घोषणा की थी उसी दिन से उनकी तुलना उनकी दादी इंदिरा गाँधी से की जा रही थी।

कांग्रेस की सोशल मीडिया टीम , प्रवक्ता और यहाँ तक की कांग्रेसी नेता भी प्रियंका गांधी की नाक से लेकर उनके चेहरे और सम्पूर्ण वेश की तुलना इंदिरा गांधी से करते आये हैं। और कहीं न कहीं ये तुलना सही भी है। क्योंकि प्रियंका गांधी वाड्रा की कई तस्वीरें सोशल मीडिया में वायरल हुई थी जिनमें वो हूबहू अपनी दादी की तरह लग रही हैं। 
लेकिन किसी ने यह तुलना करके नहीं बताया कि प्रियंका गांधी की वैचारिक क्षमता भी राहुल गांधी से मिलती जुलती है।  

जीहां, यह बिल्कुल सच है प्रियंका गांधी ने अपने ताजा भाषण में कुछ ऐसी बातें कह दीं जिसे सुनकर यह साफ लगता है कि प्रियंका गांधी वाड्रा की सोच समझ और अंदाज़ उनके भाई राहुल गांधी से पूरी तरह मेल खाते हैं। 

 उनके कल के भाषण के दौरान दिए गए दो बयान कांग्रेस के आईटी सेल ने सोशल मीडिया पर खूब वायरल करने की कोशिश की। लेकिन शायद कांग्रेस भूल गई थी कि वंशवाद और पारिवारिक पार्टी जिसके प्रमुख सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों ही नेशनल हेराल्ड केस में जमानत पर बाहर हैं। उसी परिवार का एक और पारिवारिक सदस्य एयर कंडीशन कमरों से उठकर राजनीती के मंच से कितना भी हो-हल्ला मचाए लेकिन जनता को सब पता है। 

 प्रियंका गांधी बेशक इंदिरा गांधी की तरह दिखती हो पर जनता अब 80 के दशक की नहीं रही। जिनके बीच मंच पर आकर अगर इंदिरा गांधी गरीबी हटाओ जैसा बयान देती थी तो मासूम जनता मान लेती थी। 

आज की जनता कांग्रेस की राजनीती से ऊब चुकी है और अब चाहे प्रियंका गांधी कितनी भी पतवार सँभालने की कोशिश करले कांग्रेस की नैया चुनावी घाट के पर नहीं लगने वाली।  

प्रियंका गांधी ने कहा " “मैं अपने घर में इतने दिन से बैठी थी आगे भी बैठी रह सकती थी। मैं बाहर इसलिए निकली हूँ क्योंकि देश संकट में है”। 

ये बयान को जहाँ कांग्रेस अपने सूत्र वाक्य की तरह इस्तेमाल कर रही है वो अपने आप में कांग्रेस के लिए ही मज़ाक बनता जा रहा है। इस बयान को गौर से देखा जाये तो कोई भी ये पूछ सकता है कि 2004 से 2014 के बीच जब प्रियंका गांधी ऐशो आराम की ज़िंदगी व्यतीत कर रही थीं, तब देश में भ्रष्टाचार के पहाड़ खड़े हुए, दंगे हुए, बम ब्लास्ट हुए, आतंकी हमले हुए। लेकिन उन्होंने एक बार भी सामने आकर नहीं पूछा कि -

देश के हालत इतने नाजुक क्यों है ? 

अर्थव्यवस्था क्यों गिरती जा रही है? 

किसान क्यों आत्महत्या कर रहा है? 

नौजवान क्यों बेरोजगार है? 

गावों में अभी तक बिजली क्यों नहीं पहुंची? 

गरीबों के पास बैंको की सुविधा क्यों नहीं पहुंची ?

लोगो के पास घर में शौचालय क्यों नहीं हैं?

महिलाओ के पास गैस सिलेंडर क्यों नहीं है ?

लेकिन तब तो प्रियंका लंदन, इटली, पेरिस दौरे पर इतना व्यस्त थीं कि भारत में क्या हो रहा है, उसके बारे में जैसे उन्हें कोई मतलब ही नहीं था। 

और अब जब यह साफ दिख रहा है कि राहुल गांधी का नेतृत्व विफल हो चुका है। तब वह एयर कंडीशनर कमरों से निकलकर अपने भाई और कांग्रेस को बचाने के लिए प्रचार कर रही हैं। अब इस पारिवारिक मसले में देश का सवाल कहाँ से आ गया? 

ये बात अलग है कि कांग्रेस की मूल सोच यही रही है कि नेहरू का मतलब नेशन और इंदिरा मतलब इंडिया है और कांग्रेस को बचाना मतलब देश को बचाना होता है। 

प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर तंज कसते हुए कहा कल ये भी कहा कि "चौकीदार तो अमीरों के होते हैं, किसानों के नहीं"। ये टिप्पणी उन्होंने बीजेपी के  सोशल मीडिया पर चली सफल कैंपेन "में भी हूँ चौकीदार" के ऊपर किया है। 

 परन्तु इस बयान पर भी प्रियंका सोशल मीडिया पर ट्रोल हो गई। क्योंकि ये बयान भी कांग्रेस के लिए सेल्फ गोल साबित हुआ। 

प्रियंका गांधी शायद भूल गयी कि अब वो प्रियंका गांधी वाड्रा भी है और उनके पति रोबर्ट वाड्रा पहले से ही जमीन हथियाने और बेनामी सम्पति के लिए ईडी और कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं। 

रॉबर्ट वाड्रा पर हरियाणा में किसानो की 50 एकड़ जमीन हथियाने का केस चल रहा है।  ऐसे में प्रियंका गाँधी के मुंह से किसानों की भलाई की बात किसी चुटकुले से कम नहीं है। 

 सालों तक किसान आत्महत्या करते रहे और कांग्रेस पार्टी 10 साल तक स्वामीनाथन कमीशन की अनुशंसा के मुताबिक न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं दे पाई। जो मोदी सरकार ने 2018 में लागू की|

अब चुनावी बिगुल बज चुका है और ऐसे में प्रियंका गांधी की अपरिपक्वता कांग्रेस को भारी पड़ती दिख रही है। दरअसल जल्दी पैर जमाने की हड़बड़ी में प्रियंका गांधी अपने ही भाई राहुल से प्रतियोगिता कर रही हैं। 
दोनों के बीच होड़ लगी है कि कौन ज्यादा अपरिपक्व बयान दे सकता है। ऐसे में अब जनता को तय करना है कि राहुल गांधी ज्यादा हास्यास्पद हैं या प्रियंका वाड्रा।

प्रियंका गांधी के भाषण के उपर सोशल मीडिया पर कुछ इस तरह लोग दे रहे हैं प्रतिक्रिया -

The Kisan u mentioned is he nly ?? pic.twitter.com/KR55Lu9Caz

— Anjali Nataraj (@AnjaliKoundinya)

 

आप लोगों के परिवार विदेशी वातावर्ण मे पले बड़े हैं, बचपन से आपने अपने परिवारों मे, अपनी ज़ायज नाजायज सम्पती की रक्षा के लिये, चौकीदार रखते हुए देखा है l सत्य कहा आपने, हम चौकीदार किसानो के लिये नही होते, अपितु हम सब किसान और मजदूरों मे से ही होते हैं l

— Chowkidar:Amar Sareen🇮🇳 (@sareenamar)

 

Is somebody ask her what her achievements till date ?

— चौकिदार संजीव त्रिपाठी (@panditskt)

 

आपके पति तो अमीर हैं। कितने चौकीदार रखे हैं।

— चौकीदार अम्बुज सिंह परिहार (@ambuj_parihar)

 

प्रियंका जी आपके पति जी ने ना जाने कितने मासूम किसानों की जमीनों को हड़प लिया है।आप किसान हित की बात ना करो।इतना आपको किसानों से लगाव है तो लौटा दो उन बेचारो किसानों की ज़मीन।

— Chowkidar Rajesh Kumar Prajapati (@Rajeshkp212)

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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