राफेल डीलः मोदी विरोधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले से फिर हुए निराश, पर्रिकर बोले, सत्यमेव जयते

By Team MyNationFirst Published Dec 14, 2018, 2:44 PM IST
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शीर्ष अदालत का फैसला 'मनमाफिक' नहीं आने पर मोदी विरोधी भन्ना गए हैं। अभी तक पूर्व चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के फैसलों पर लगातार सवाल उठाने वाले वकील प्रशांत भूषण अब चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच के फैसले से भी खुश नहीं हैं। 

सुप्रीम कोर्ट ने राफेल सौदे की जांच को लेकर दायर की गई सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राफेल सौदे में कोई धांधली या अनियमितता नहीं है। राफेल विमान की गुणवत्‍ता पर भी कोई शक नहीं है। राफेल विमान सौदे में कीमतों की जांच सुप्रीम कोर्ट का काम नहीं है। हम कुछ लोगों की धारणा के आधार पर फैसला नहीं दे सकते हैं। हालांकि शीर्ष अदालत का फैसला 'मनमाफिक' नहीं आने पर मोदी विरोधी भन्ना गए हैं। अभी तक पूर्व चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के फैसलों पर लगातार सवाल उठाने वाले वकील प्रशांत भूषण अब चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के फैसले से भी खुश नहीं हैं। मौजूदा चीफ जस्टिस रंजन गोगोई उन चार जजों में शामिल थे, जिन्होंने पूर्व चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ ऐतिहासिक प्रेस वार्ता करते हुए, उन पर गंभीर आरोप लगाए थे। उधर, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने ट्वीट कर कहा, सत्यमेव जयते।

बहरहाल, राफेल डील मामले में याचिका खारिज होने के बाद याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि वह कोर्ट के इस फैसले से खुश नहीं है। जल्द ही इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर की जाएगी। उन्होंने एक ट्वीट मे कहा, सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला पूरी तरह से सरकार के दावे पर आधारित है। जिसमें सीलबंद लिफाफे में कुछ ऐसा बताया गया जो हमें नहीं दिखाया गया। यह फैसला हमारे द्वारा उठाए गए मुद्दे और तथ्यों को भी हल नहीं करता है। 

The judgement of SC in the Rafale case,apart from being based entirely on the govt's claims,some of them made in a sealed cover without being shown to us,also does not deal with the issues raised by us&the facts mentioned by us in our complaint to the CBI or in our petition to SC

— Prashant Bhushan (@pbhushan1)

एक के बाद एक किए गई ट्वीट में प्रशांत भूषण ने लिखा, यह निराश करने वाला फैसला है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राफेल सौदे की जांच कराने की कोई जरूरत नहीं है। सरकार की ओर से सौंपे गए सीलबंद लिफाफे के आधार पर कोर्ट ने कहा कि कीमतें सही लग रही हैं। यह हमें नहीं दिखाई गई। आज कैरेवेन ने खुलासा किया है कि मोदी ने खुद राफेल विमान सौदे के दाम 5.2 से 7.8 बिलियन यूरो बढ़ाए थे। 

Very disappointing Jt of the SC saying that there is no need for the court to order investigation into Rafale deal.Court says price seems OK on basis of govt's sealed cover, which was not shown to us. Today Caravan has revealed that Modi himself increased price from 5.2-7.8B Euro

— Prashant Bhushan (@pbhushan1)

एक अन्य ट्वीट में प्रशांत भूषण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार का यह दावा भी स्वीकार कर लिया कि अंबानी को ऑफसेट पार्टनर चुनने का फैसला दसॉल्ट ने किया था और सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं थी। जबकि तथ्य यह है कि रक्षा खरीद प्रक्रिया और ऑफसेट गाइडलाइन के तहत सबी ऑफसेट कांट्रैक्ट को रक्षा मंत्री की मंजूरी मिलना जरूरी है। 

SC also accepted govt claim that selection of Ambani as offset partner was done by Dassalt and the government has no role in it, despite the fact that defence procurement procedures and offset guidelines require that all offset contracts must be approved by the Defence Minister!

— Prashant Bhushan (@pbhushan1)

प्रशांत भूषण ने एक और ट्वीट में कहा, यह पहली बार नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट उच्च स्तर के भ्रष्टाचार के मामलों में जांच का आदेश देने में नाकाम रहा है। बिड़ला/सहारा मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने जांच का आदेश देने से मना कर दिया था। 

This isn't the first time when the SC has failed us in ordering a probe in cases of high level corruption. In the Birla/Sahara case,where IT& CBI had recovered docs showing large payoffs to politicos which tallied with their books of accounts, SC had also refused to order a probe

— Prashant Bhushan (@pbhushan1)

वहीं एक अन्य याचिकाकर्ता एम एल शर्मा ने कहा कि कोर्ट का फैसला सिर्फ प्रक्रिया की जांच को लेकर आया है, मैंने पूरे मामले की कोर्ट की निगरानी में जांच कराने की मांग को लेकर याचिका दायर की था। अब इस फैसले के बाद पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे।

उधर, कांग्रेस इस फैसले को भी अपनी जीत बता रही है। पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, यह कांग्रेस के रुख की पुष्टि करता है कि राफेल सौदे में भ्रष्टाचार पर फैसला शीर्ष अदालत नहीं कर सकती है। हम राफेल सौदे की हर परत को खोलने के लिए प्रधानमंत्री को उसकी जेपीसी जांच कराने की चुनौती देते हैं। 

राफेल में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मोदी विरोधियों का रुख कुछ ईवीएम विरोध की तरह नजर आ रहा है। जहां चुनाव जीतने पर ईवीएम सही ठहरा दी जाती है, जबकि हारने पर ईवीएम से छेड़छाड़ के आरोप लगा दिए जाते हैं। 

सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद केंद्र सरकार विपक्ष खासकर राहुल गांधी पर हमलावर हो गई है। राजनाथ सिंह ने जहां राहुल गांधी से माफी मांगने को कहा है, वहीं गोवा सीएम और पूर्व रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने इसे सत्य की जीत बताया है। जिस समय मोदी सरकार ने नई राफेल डील की थी, तब पर्रिकर रक्षा मंत्री थे। फिलहाल उनकी तबीयत खराब चल रही है और महीनों से वह सार्वजनिक जीवन से दूर हैं। शुक्रवार को राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का बाद मनोहर पर्रिकर ने ट्वीट कर लिखा, 'सत्यमेव जयते।' 

Satyamev Jayate!

— Manohar Parrikar (@manoharparrikar)

राफेल डील के खिलाफ याचिका दाखिल करने वालों में से एक अरुण शौरी ने सुप्रीम कोर्ट में मनोहर पर्रिकर के बयान का भी हवाला दिया था। शौरी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था, 'जब मनोहर पार्रिकर से पूछा गया था कि 126 के बदले 36 प्लेन क्यों लिए जा रहे हैं तो पर्रिकर ने कहा था कि ये पीएम का फैसला है और हम उन्हें सपॉर्ट करते हैं। ये राजनीतिक फैसला है जिसमें प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ।' 

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