सुप्रीम कोर्ट ने राफेल सौदे की प्रक्रिया का ब्योरा मांगा, कहा- तकनीकी सूचना नहीं चाहिए

By Team Mynation  |  First Published Oct 10, 2018, 12:47 PM IST

सीलबंद लिफाफे में मांगा गया है ब्यौरा, चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ ने साफ किया वह याचिकाओं में लगाए गए आरोपों को ध्यान में नहीं रख रहा।

फ्रांस के साथ हुए 36 राफेल विमान सौदे का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। इस संबंध में दायर याचिकाओं की सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने बुधवार को केंद्र से कहा कि वह इस सौदे की प्रक्रिया का ब्यौरा सीलबंद लिफाफे में उसे सौंपे।

हालांकि प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पीठ ने यह स्पष्ट किया कि फ्रांस के साथ हुए इस सौदे के संबंध में उसे कीमत और सौदे के तकनीकी विवरणों से जुड़ी सूचनाएं नहीं चाहिए। पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि वह याचिकाओं में लगाए गए आरोपों को ध्यान में नहीं रख रहा है।

कोर्ट ने केंद्र से कहा कि वह सीलबंद लिफाफे में से 29 अक्टूबर तक सूचनाएं सौंपे। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 31 अक्टूबर की तारीख तय की है। सुनवाई के दौरान केंद्र ने राफेल पर दाखिल जनहित याचिकाओं का विरोध किया और यह कहते हुए उन्हें खारिज करने का अनुरोध किया कि राजनीतिक लाभ लेने के लिए ये दाखिल की गई हैं।

अटॉर्नी जनरल ने न्यायालय से कहा कि राफेल सौदा राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है और ऐसे मुद्दों की न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती है। वहीं कांग्रेस नेता और आरटीआई कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे के संबंध में दायर अपनी जनहित याचिका वापस ले ली है।

पीठ राफेल सौदे को लेकर दायर कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इन याचिकाओं में केंद्र को ये निर्देश देने की मांग की गई है कि वह राफेल सौदे के ब्योरे और संप्रग और राजग सरकार के कार्यकाल के दौरान सौदे की तुलनात्मक कीमतों का विवरण सीलबंद लिफाफे में शीर्ष अदालत को सौंपे। (इनपुट भाषा)

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