राफेल पर वायुसेना प्रमुख का बड़ा बयान

वायुसेना प्रमुख ने कहा, रूस से खरीदी जा रही एस-400 ट्रॉयंफ हवाई सुरक्षा मिसाइल प्रणाली के साथ राफेल विमान वायुसेना की लड़ाकू क्षमता की कमी को पूरा करने में मददगार होंगे।  

Rafale planes necessary to fill gaps in combat capabilities of Nation

ऐसे समय जब कांग्रेस फ्रांस से सिर्फ 36 राफेल लड़ाकू विमान ही खरीदने के मोदी सरकार के फैसले पर सवाल उठा रही है, वायुसेना प्रमुख ने कहा है कि पहले भी ऐसे कई उदाहरण हैं, जब आकस्मिक जरूरत को पूरा करने से लिए लड़ाकू विमानों के दो स्क्वॉड्रन ही खरीदे गए हैं। 

वायुसेना प्रमुख ने यह भी कहा कि रूस से खरीदी जा रही एस-400 ट्रॉयंफ हवाई सुरक्षा मिसाइल प्रणाली के साथ राफेल विमान वायुसेना की लड़ाकू क्षमता की कमी को पूरा करने में मददगार होंगे।  

‘भारतीय वायु सेना की संरचना - 2035’नाम से आयोजित एक सेमिनार को संबोधित करते हुए वायुसेना प्रमुख ने कहा, 'राफेल जैसे लड़ाकू विमान की खरीद के लिए दो सरकारों के बीच समझौते का यह पहला मामला नहीं है। 1980 के दशक में भी आकस्मिक जरूरत को पूरा करने के लिए मिग 29 और मिराज-2000 लड़ाकू विमानों के दो स्क्वॉड्रन खरीदे गए थे। '

कांग्रेस, भाजपा के दो असंतुष्ट नेता अरुण  शौरी और यशवंत सिन्हा तथा सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण मोदी सरकार के सिर्फ 36 विमान ही खरीदने के फैसले पर सवाल उठाते रहे हैं। उनका कहना है कि वायुसेना को 126 विमानों की जरूरत है। 

सम्मेलन के दौरान वायुसेना प्रमुख ने कहा, दुनिया में बहुत कम ऐसे देश हैं, जो हमारी जैसी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। हम दो पड़ोसी परमाणु हथियारों से संपन्न मुल्क हैं। किसी और के सामने ऐसी स्थिति नहीं है। 

एयरचीफ मार्शल धनोआ ने कहा, 'अगर हमें 42 स्क्वॉड्रन की मंजूरी मिल जाती है, तब भी हमारी ताकत अपने दो प्रतिद्वंद्वियों चीन और पाकिस्तान की संयुक्त ताकत से कम होगी। दो मोर्चों पर लड़ाई की स्थिति का सामना करने के लिए हमें अपनी ताकत को उस स्तर तक ले जाना होगा।'

इस कार्यक्रम में राफेल सौदे का हिस्सा रहे वायुसेना के दो अधिकारियों सेंट्रल वायुसेना कमान के कमांडर एयर मार्शल एसबीपी सिन्हा और वायुसेना उपप्रमुख एयर मार्शल रघुनाथ नांबियर भी हिस्सा ले रहे हैं। वे राफेल सौदे के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालेंगे।
 

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