बड़े कॉरपोरेट्स विवादास्पद और कभी-कभार फर्जी अपील के जरिए बैंकरप्सी कोड के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। उच्चतर न्यायालयों को ऐसे मामलों में नियमित रूप से दखल देने के लोभ से बचना चाहिए।
नई दिल्ली- रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने न्यायपालिका को नसीहत दी है। उन्होंने कहा है कि अदालत को डिफॉल्टरों की खोखली दलीलों वाली अपीलों को बढ़ावा देने से बचना चाहिए। क्योंकि डिफॉल्ट कर चुकी कंपनियों के कुछ प्रमोटर्स अब भी सिस्टम की खामियों का फायदा उठाना चाहते हैं।
राजन ने संसदीय समिति के नाम चिट्ठी में लिखा है, कि 'बड़े कॉरपोरेट्स विवादास्पद और कभी-कभार फर्जी अपील के जरिए बैंकरप्सी कोड के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। उच्चतर न्यायालयों को ऐसे मामलों में नियमित रूप से दखल देने के लोभ से बचना चाहिए। इस मामले से जुड़े बिंदुओं की व्याख्या हो जाने के बाद उनमें हो रही अपील पर अंकुश लगाया जाना चाहिए।'
पूर्व रिजर्व बैंक गवर्नर का यह बयान तब आया है, जब कई बिजली उत्पादक कंपनियां, बैंकिंग रेग्युलेटर की तरफ से 12 फरवरी को जारी हुए सर्कुलर पर रोक लगवाने की कोशिश कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी मंगलवार को इस सर्कुलर पर एक तरह से स्टे लगा दिया है। रघुराम राजन ने यह बात भी उठाई है कि कैसे कुछ कंपनियों के मालिकान भारी भरकम लोन के चलते दिवालिया हो चुकी अपनी संपत्तियों को पिछले दरवाजे से खरीदने का रास्ता तलाश रही हैं।
राजन ने कहा, 'जब तक बैंकरप्सी कोड लागू नहीं हुआ था, तब तक कंपनियों के मालिकान को कभी ऐसा नहीं लगा कि कंपनी उनके हाथ से निकल भी सकती है। यह कोड लागू होने के बाद भी कुछ कंपनियों के प्रमोटर नकली बोली लगाने वालों के जरिए सस्ते दाम पर अपनी कंपनी पर नियंत्रण फिर से हासिल करने की फिराक में लगे हुए हैं। जो कि नियमों के साथ खिलवाड़ है।
यही वजह है कि बहुत से प्रमोटर्स बैंकों के साथ गंभीरता से बात नहीं कर रहे हैं।'