उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने मिलकर 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ा। हालांकि पहले दोनों दल एक दूसरे के खिलाफ पहले चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन बीजेपी और बीएसपी को रोकने के लिए दोनों दलों ने गठबंधन किया। राहुल गांधी ने चुनाव से पहले खाट पंचायत कर राज्य की तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार के खिलाफ मुहिम चलाई। लेकिन दोनों दलों के रणनीतिकार की पहल पर दोनों ने चुनावी गठबंधन किया।
अगर आज से करीब दो साल पहले की यूपी की तस्वीर देखें तो विधानसभा चुनाव में राज्य के तमाम हिस्सों में एक नारा तेजी से गूंज रहा था ‘यूपी को यह साथ पसंद है’। लेकिन यही नारा लगाने वाले दो नेता अब यूपी में एक दूसरे पर आरोपों के बाण चला रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समाजवादी पार्टी पर आरोप लगा रहे हैं कि वह बीजेपी को मदद कर रहे हैं तो अखिलेश कांग्रेस पर उनके पीछे सीबीआई और ईडी लगाने का आरोप लगा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने मिलकर 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ा। हालांकि पहले दोनों दल एक दूसरे के खिलाफ पहले चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन बीजेपी और बीएसपी को रोकने के लिए दोनों दलों ने गठबंधन किया। राहुल गांधी ने चुनाव से पहले खाट पंचायत कर राज्य की तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार के खिलाफ मुहिम चलाई।
लेकिन दोनों दलों के रणनीतिकार की पहल पर दोनों ने चुनावी गठबंधन किया। चुनाव के बाद नतीजा ये रहा कि एसपी महज 47 सीटों पर और कांग्रेस 9 सीटों पर सिमट गयी। लेकिन दोनों के बीच ये दोस्ती लंबे अरसे तक नहीं चली। यहां तक नगर निगम चुनावों में दो दल एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़े। अब लोकसभा चुनाव में ये दोनों दल एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। जो कभी विधानसभा चुनाव में एक दूसरे से गले से गला मिलाकर चल रहे थे।
अब एसपी प्रमुख अखिलेश यादव कांग्रेस पर आरोप लगा रहे हैं कि उसकी सरकारों ने उनके परिवार के पीछे सीबीआई और ईडी लगाई और हमारा दिल बड़ा था कि हमने कांग्रेस के साथ यूपी में गठबंधन किया। लेकिन जबकि राहुल गांधी कह रहे हैं कि मोदी अपनी रैलियों में कांग्रेस मुक्त की बात करते हैं, लेकिन एसपी और बीएसपी मुक्त नहीं कहते हैं। जाहिर है कि इन दलों की बीजेपी के साथ मिलीभगत है, जो उसे रोकने के लिए इन दलों के जरिए वह कांग्रेस को रोकना चाहती है।