कुछ महीने पहले जब सीबीआई राजीव कुमार को गिरफ्तार करने उनके घर पहुंची थी तो तब उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ ममता बनर्जी उनके आवास पर धरने पर बैठक गई थी। लेकिन अब राजीव कुमार अपनी जमानत के लिए कोर्ट के दरवाजों पर दस्तक दे रहे हैं। लेकिन उन्हें वहां से भी राहत नहीं मिल रही है। हाईकोर्ट द्वारा उनकी गिरफ्तारी पर रोक हटाने के बाद सीबीआई ने उन्हें कार्यालय पहुंचने के लिए नोटिस दिया था।
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबी अफसर माने जाने वाले कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार की अग्रिम जमानत याचिका को बारासात कोर्ट ने भी खारिज कर दिया है। कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि ये उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। लिहाजा अब राजीव कुमार के खिलाफ सीबीआई कोर्ट के जरिए गिरफ्तारी वारंट जारी करा सकती है। राजीव कुमार जमानत के लिए भागे भागे फिर रहे हैं लेकिन सीबीआई के सामने पेश नहीं हो रहे हैं। क्योंकि उन्हें डर है कि सीबीआई उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज सकती है।
कुछ महीने पहले जब सीबीआई राजीव कुमार को गिरफ्तार करने उनके घर पहुंची थी तो तब उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ ममता बनर्जी उनके आवास पर धरने पर बैठक गई थी। लेकिन अब राजीव कुमार अपनी जमानत के लिए कोर्ट के दरवाजों पर दस्तक दे रहे हैं। लेकिन उन्हें वहां से भी राहत नहीं मिल रही है। हाईकोर्ट द्वारा उनकी गिरफ्तारी पर रोक हटाने के बाद सीबीआई ने उन्हें कार्यालय पहुंचने के लिए नोटिस दिया था। लेकिन शनिवार को राजीव कुमार सीबीआई के पास नहीं पहुंचे और बाद में उन्होंने एक महीने की मोहलत मांगी। जिसे सीबीआई ने अस्वीकार कर दिया था।
हालांकि सोमवार को भी सीबीआई ने उनके कार्यालय में नोटिस दी थी। इसके साथ ही राज्य के चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी को पत्र लिखकर राजीव कुमार को तलब कराने के लिए कहा था। हालांकि अभी तक राजीव कुमार के बारे में किसी को जानकारी नहीं है। लिहाजा सीबीआई कोर्ट के जरिए उन्हें गिरफ्तार करने के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी करा सकती है। हालांकि सीबीआई ने सारदा पोंजी घोटाले मामले में आज उन्हें सीबीआई के समक्ष पेश होने के लिए दोबारा नोटिस जारी किया था। लेकिन राजीव कुमार आज फिर नहीं आए और अब उनकी गिरफ्तारी की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
गौरतलब है कि राजीव कुमार पश्चिम बंगाल में हुए सारदा चिट फंड घोटाले के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बनाई गई एसआईटी के प्रमुख थे और उन पर आरोप है कि इस घोटाले से जुड़े तथ्यों और सबूतों के साथ उन्होंने छेड़छाड़ की है। लिहाजा सीबीआई उनसे इस मामले में पूछताछ करना चाहती है। इस घोटाले में राज्य की सत्ताधारी टीएमसी के कई सांसद और नेता शामिल थे और कई लोग जेल के सलाखों के पीछे जा चुके हैं।