लोकसभा में राजनाथ और राज्यसभा में पीयूष गोयल होंगे उपनेता

By Team MyNationFirst Published Jun 12, 2019, 4:57 PM IST
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सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता थावरचंद गहलोत को राज्यसभा में सदन का नेता नियुक्त किया गया है। वह बीमार चल रहे राज्यसभा सांसद अरुण जेटली की जगह लेंगे। 

भाजपा संसदीय दल की कार्यकारी समिति का गठन हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पार्टी के नेता रहेंगे वहीं  लोकसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को उपनेता की जिम्मेदारी दी गई है। वहीं राज्यसभा में थावर चंद गहलोत को पार्टी का नेता और पीयूष गोयल को उपनेता नियुक्त किया गया है। 

BJP Parliamentary Party Executive Committee has been constituted with PM Narendra Modi as the leader of the party,Rajnath Singh as Deputy leader of the party (Lok Sabha), Thawar Chand Gehlot as leader of party in Rajya Sabha&Piyush Goyal as Deputy leader of party in Rajya Sabha). pic.twitter.com/QsK2aifC04

— ANI (@ANI)

नरेंद्र मोदी सरकार में सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता थावरचंद गहलोत को राज्यसभा में सदन का नेता नियुक्त किया गया है, वहीं रेल और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री गोयल राज्यसभा में उप नेता होंगे। सूत्रों ने बताया कि दो बार राज्यसभा के सदस्य रहे गोयल केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद का स्थान लेंगे, जो लोकसभा के लिए निर्वाचित हो गए हैं। वहीं गहलोत पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद अरुण जेटली की जगह लेंगे। वह स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के चलते मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में कैबिनेट में शामिल नहीं हुए हैं।

गोयल महाराष्ट्र से राज्यसभा सदस्य हैं। वह पहले भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रह चुके हैं। भाजपा ने पार्टी के बिहार से लोकसभा सांसद संजय जायसवाल को अपना मुख्य सचेतक बनाने का फैसला किया है। वह अनुराग ठाकुर का स्थान लेंगे जो नई मोदी सरकार में मंत्री बनाए गए हैं। 

केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद पीएम मोदी ने अपने कैबिनेट में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को शामिल किया है। उन्हें गृह मंत्री बनाया गया है। पिछली सरकार में गृह मंत्री रहे राजनाथ सिंह को रक्षा मंत्री बनाया गया है। 

इससे पहले, राजनाथ को कैबिनेट की आठ महत्वपूर्ण समितियों में से केवल दो में ही जगह मिली थी। हालांकि बाद में उन्हें छह समितियों में शामिल कर लिया गया। इसके  बावजूद उन्हें सबसे महत्त्वपूर्ण मानी जाने वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति में जगह नहीं मिली।

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