आज के दिन को शहादत दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत को आजादी दिलाने के लिए राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और रोशन सिंह ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। इन तीनों क्रांतिकारियों ने काकोरी कांड में शामिल होने के कारण फांसी पर चढ़ाया गया था।
नई दिल्ली— सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है”। इस गीत के रचयिता महान क्रांतिकारी पंडित रामप्रसाद बिस्मिल, उनके महान क्रांतिकारी मित्र अशफ़ाक उल्ला खां और ठाकुर रोशन सिंह जिन्होंने भारत को आजादी दिलाने के लिए हंसते हंसते अपनी जान दे दी।
क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान और ठाकुर रोशन सिंह को आज ही के दिन फांसी दी गई था। साल 1927 में तीनों क्रांतिकारियों को अलग-अलग जेल में फांसी पर लटकाया गया था।
इसी कारण आज के दिन को शहादत दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत को आजादी दिलाने के लिए राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और रोशन सिंह ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। इन तीनों क्रांतिकारियों ने काकोरी कांड में शामिल होने के कारण फांसी पर चढ़ाया गया था।
भारत के स्वाधीनता आंदोलन में काकोरी कांड की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। लेकिन इसके बारे में बहुत ज्यादा जिक्र सुनने को नहीं मिलता। इतिहासकारों ने भी काकोरी कांड को बहुत ज्यादा अहमियत नहीं दी। लेकिन यह कहना गलत नहीं होगा कि काकोरी कांड ही वह घटना थी जिसके बाद देश में क्रांतिकारियों के प्रति लोगों का नजरिया बदलने लगा था और वे पहले से ज्यादा लोकप्रिय होने लगे थे।
उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध में आर्यस्ट और रैंड की हत्या के साथ राष्ट्रवाद का जो दौर प्रारंभ हुआ, वह महात्मा गांधी के आगमन तक जारी रहा। लेकिन फरवरी 1922 में चौरा-चौरी कांड के बाद जब गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया, तब भारत के युवा वर्ग में जो निराशा उत्पन्न हुई उसका निराकरण काकोरी कांड ने ही किया था।’
9 अगस्त 1925 की रात चंद्रशेखर आजाद, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, राजेंद्र लाहिड़ी और रोशन सिंह सहित कई क्रांतिकारियों ने लखनऊ के पास काकोरी नामक स्थान पर ट्रेन में ले जाए जा रहे सरकारी खजाने को लूट लिया था। इस घटना को इतिहास में काकोरी कांड के नाम से जाना जाता है।
इस घटना ने देश भर के लोगों का ध्यान खींचा। इस घटना के बाद चंद्रशेखर आजाद पुलिस के चंगुल से बच निकले, लेकिन राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, राजेंद्र लाहिड़ी और रोशन सिंह पकड़े गए। बाकी के क्रांतिकारियों को 4 साल की कैद और कुछ को काला पानी की सजा दी गई।
राम प्रसाद बिस्मिल
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के क्रांतिकारी के अलावा रामप्रसाद बिस्मिल एक बेहतरीन कवि, शायर, कुशल बहुभाषाभाषी अनुवादक, इतिहासकार होने के साथ ही साहित्यकार भी थे। रामप्रसाद बिस्मिल का जन्म 11 जून 1897 को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में हुआ था। उनके पिता का नाम मुरलीधर और माता का नाम मूलमती था।
अशफाक उल्ला खां
अशफाक उल्ला खां का जन्म 22 अक्टूबर 1900 ई. में उत्तरप्रदेश के शाहजहांपुर स्थित शहीदगढ़ में हुआ था। उनके पिता का नाम मोहम्मद शफीक उल्ला खान था। वे पठान परिवार से ताल्लुक रखते थे और उनके परिवार में लगभग सभी सरकारी नौकरी में थे।
रोशन सिंह
रोशन सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर स्थित नवादा गांव में हुआ था। रोशन सिंह ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी भूमिका निभाई थी। कुछ इतिहासकारों को मानना है कि काकोरी कांड में शामिल ने होने के बावजूद उन्हें 19 दिसंबर 1927 को इलाहाबाद के नैनी जेल में फांसी दी गई थी।