रिजर्व बैंक तीन बार की मौद्रिक समीक्षा कर ब्याज दरों में 0.75 फीसदी की कटौती कर चुका है, लेकिन बैंकों ने महज 0.15 फीसदी का ही लाभ उपभोक्ताओं को दिया है। लिहाजा इस बारे में आरबीआई की चिंता बढ़ी हुई हैं। क्योंकि जिस मकसद से आरबीआई ने रेपो रेट में कमी की थी, वह पूरा नहीं हो रहा है।
सरकारी हो या फिर निजी क्षेत्र के बैंक सभी उपभोक्ताओं को चूना लगा रहे हैं। रिजर्व बैंक द्वारा तीन बार रेपो रेट कम करने के बावजूद बैंकों ने ब्याज दरों में कोई खास कटौती नहीं की है। फिलहाल रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास को उम्मीद है कि बैंक जल्द ही उपभोक्ताओं को दिए जाने वाले कर्ज की ब्याज दरों में कटौती करेंगे।
पिछले छह महीनों में रिजर्व बैंक तीन बार रेपो रेट कम कर चुका है। इन तीन बार ने बैंक ने .75 फीसदी दर कम की। लेकिन बैंकों ने इसे अभी तक उपभोक्ताओं को इसका लाभ नहीं दिया है। जिसको लेकर आरबीआई के गर्वनर ने भी चिंता जताई। रेपो रेट की वजह से बैंकों को आरबीआई से सस्ती दरों में कर्ज मिलता है। जिसे वह उपभोक्ताओं को बढ़ी हुई ब्याज दरों पर देते हैं।
रिजर्व बैंक तीन बार की मौद्रिक समीक्षा कर ब्याज दरों में 0.75 फीसदी की कटौती कर चुका है, लेकिन बैंकों ने महज 0.15 फीसदी का ही लाभ उपभोक्ताओं को दिया है। लिहाजा इस बारे में आरबीआई की चिंता बढ़ी हुई हैं। क्योंकि जिस मकसद से आरबीआई ने रेपो रेट में कमी की थी, वह पूरा नहीं हो रहा है।
आरबीआई का मानना है कि बाजार में पूंजी की कोई कमी नहीं है। जहां तक गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के संकट की बात है ये जल्द ही सुलझा ली जाएंगी। क्योंकि बजट में सरकार ने एनबीएफसी की अच्छी परिसंपत्तियों को खरीदने वालें बैंकों को उनके दस फीसदी तक के नुकसान की भरपाई सरकार करेगी।
फिलहाल आरबीआई का पूरा फोकस रेपो रेट की कम हुई दरों से जनता को लाभ पहुंचाना है। इसके लिए बैंकों को जल्द से जल्द इसका लाभ उपभोक्ताओं को देने का कहा है। उधर राजस्व बढ़ाने के लिए सरकार सरकारी बॉन्ड जारी करेगी। सरकार इसके जरिए विदेशों से दस अरब डॉलर का कर्ज जुटाएगी।