केंद्रीय बैंक ने अगले वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। वर्ष 2018-19 की दूसरी छमाही के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को घटाकर 2.7 से 3.2 प्रतिशत कर दिया है।
रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरों (रेपो दर) में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने सोच-विचार के साथ मौद्रिक नीति को कड़ा करने के अपने रुख में कोई बदलाव नहीं किया है। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने चालू वित्त वर्ष की पांचवीं द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में लगातार दूसरी बार ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है।
केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के 7.4 प्रतिशत के अनुमान को भी कायम रखा है। अगले वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।
रिजर्व बैंक ने कहा कि एमपीसी का यह फैसला मौद्रिक नीति को सोच विचार के साथ सख्त करने के रुख के अनुरूप है। यह मध्यम अवधि में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) के लक्ष्य में रखने के हमारे रुख के अनुकूल है।
नीतिगत दरों में बदलाव नहीं करने का फैसला हालांकि, सर्वसम्मति से लिया गया। लेकिन समिति के एक सदस्य रविंद्र एच ढोलकिया ने मौद्रिक नीति रुख को बदलकर तटस्थ करने के पक्ष में मत दिया।
वहीं केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी छमाही के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को घटाकर 2.7 से 3.2 प्रतिशत कर दिया है। केंद्रीय बैंक ने सामान्य मानसून और खाद्य वस्तुओं के दाम में नरमी को देखते हुए मुद्रास्फीति अनुमान को कम किया है।
रिजर्व बैंक ने बुधवार को चालू वित्त वर्ष की अपनी पांचवीं द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में कहा है कि व्यापक रूप से खाद्य वस्तुओं के दाम घटने से आगे चलकर प्रमुख मुद्रास्फीति नीचे आएगी। इससे पिछली अक्टूबर की द्विमासिक समीक्षा में केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष की अक्टूबर-मार्च अवधि यानी दूसरी छमाही में खुदरा मुद्रास्फीति के 3.9 से 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।
हालांकि, खाद्य वस्तुओं के दाम घटे हैं लेकिन गैर -खाद्य समूह में मुद्रास्फीति व्यापक रूप से बढ़ी है। पिछली मौद्रिक समीक्षा के बाद से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट आई है। नवंबर अंत तक कच्चे तेल का भारत का खरीद मूल्य घटकर 60 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है, जो अक्टूबर की शुरुआत में 85 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था।
रिजर्व बैंक ने कहा कि इन सब कारकों पर ध्यान देते हुए और मानसून सामान्य रहने की वजह से चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में मुद्रास्फीति के अनुमान को घटाकर 2.7 से 3.2 प्रतिशत कर दिया गया है। अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही में मुद्रास्फीति के 3.8 से 4.2 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान है।