आरबीआई ने लगातार तीसरी बार रेपो रेट में कटौती की है। रिजर्व बैंक ने अपने नीतिगत रुख को भी ‘तटस्थ’ से ‘नरम’ किया।
केंद्र में नई सरकार बनने के बाद रिजर्व बैंक ने जनता को बड़ा तोहफा दिया है। आरबीआई ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कमी कर दी है। इस कमी के बाद रेपो रेट घटकर 5.75 फीसदी पर आ गया है। अभी तक यह 6 फीसदी था। खास बात यह है कि आरबीआई ने लगातार तीसरी बार रेपो रेट में कटौती की है।
RBI cuts repo rate by 25 basis points, now at 5.75% from 6%. Reverse repo rate and bank rate adjusted at 5.50 and 6.0 per cent respectively. pic.twitter.com/greB9paac3
— ANI (@ANI)रिवर्स रेपो दर 5.50 प्रतिशत जबकि उधार की सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) पर ब्याज दर और बैंक दर 6.0 प्रतिशत की गई है। रिजर्व बैंक ने अपने नीतिगत रुख को ‘तटस्थ’ से ‘नरम’ किया। रिजर्व बैंक ने 2019-20 के लिये जीडीपी वृद्धि दर अनुमान को पहले के 7.2 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत किया।
साल 2019 में यह लगातार तीसरा मौका है जब केंद्रीय बैंक ने बैंकों के लिए सस्ता धन सुलभ कराने के लिए अपनी नीतिगत दर में कटौती की है। इन तीनों मौकों को मिला कर रपो दर में कुल 0.75 प्रतिशत की कटौती हो चुकी है। रेपो दर वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को उनकी तत्काल की जरूरत के लिए एक दिन के लिए धन उधार देता है।
रेपो दर में इस कटौती के साथ यह 5.7 प्रतिशत पर आ गई है। रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को मामूली रूप से बढ़ाकर 3 से 3.1 प्रतिशत कर दिया है। यह सरकार द्वारा निर्धारित 2 से 6 प्रतिशत के दायरे में है।
मौद्रिक नीति घोषणा में कहा गया है, ‘मौद्रिक नीति समिति इस बात पर गौर करती है कि आर्थिक वृद्धि दर उल्लेखनीय रूप से कमजोर पड़ी है...निवेश गतिविधियों में तीव्र गिरावट के साथ निजी खपत वृद्धि में नरमी चिंता की बात है।’ रिजर्व बैंक की अगली मौद्रिक नीति समीक्षा 5 से 7 अगस्त 2019 को की जाएगी। (इनपुट एजेंसी से भी)
ब्याज दरें होंगी कम
रेपो रेट ब्याज की वह दर होती है, जिस पर आरबीआई बैकों को फंड मुहैया कराता है। रेपो रेट घटने से बैंकों को आरबीआई से सस्ती फंडिंग मिलेगी। इसके बाद बैंक भी कम ब्याज दर पर होम लोन, कार लोन सहित अन्य लोन दे पाएंगे। इससे नया लोन सस्ता हो जाएगा, जबकि लोन ले चुके लोगों को या तो ईएमआई में या रीपेमेंट पीरियड में कटौती का फायदा मिलेगा। हालांकि, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि बैंक आरबीआई के फैसले का फायदा ग्राहकों तक पहुंचाते हैं या नहीं, क्योंकि पिछली दो बार की कटौती का लाभ ग्राहकों को अभी तक नहीं मिल पाया है।