नोट के पिछले हिस्से में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल 'रानी की वाव' को दर्शाया गया। यह बैंगनी रंग का होगा
रिजर्व बैंक सौ का नया नोट जारी करने वाला है। महात्मा गांधी (नई) सीरीज का यह नोट बैंगनी रंग का होगा। आरबीआई के मुताबिक, इस नोट के पिछले हिस्से में 'रानी की वाव' को दर्शाया गया है। केंद्रीय बैंक ने साफ किया है कि पहले से चल रहे सौ के नोट कानूनी रूप से वैध रहेंगे।
Will shortly issue Rs 100 denomination banknotes .This new denomination has motif of “RANI KI VAV” on the reverse, depicting the country’s cultural heritage. The base colour of the note is Lavender. The existing 100 rupee note will continue to be legal tender: RBI pic.twitter.com/68HdtAW9m2
— ANI (@ANI)क्या है 'रानी की वाव'
11वीं सदी में बनी 'रानी की वाव' गुजरात के पाटण जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध बावड़ी (सीढ़ीनुमा कुआं) है। इसे वर्ष 1063 में सोलंकी वंश के राजा भीमदेव प्रथम की याद में उनकी पत्नी रानी उदयमति ने बनवाया था। यह वाव 64 मीटर लंबा, 20 मीटर चौड़ा तथा 27 मीटर गहरा है। यह भारत में अपनी तरह का अनूठा वाव है। यूनेस्को के इसे 2014 में विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया था। सीढ़ी युक्त बावड़ी में कभी सरस्वती नदी के कारण गाद भर गया था।
वाव के खंभे सोलंकी वंश के समय की वास्तुकला को दर्शाते हैं। वाव की दीवारों और स्तंभों पर अधिकांश नक्काशियां, राम, वामन, महिषासुरमर्दिनी, कल्कि जैसे अवतारों के विभिन्न रूपों में भगवान विष्णु को समर्पित हैं। इसे जल प्रबंधन प्रणाली में भूजल संसाधनों के उपयोग की तकनीक का बेहतरीन उदाहरण माना है। सात मंजिला यह वाव मारू-गुर्जर शैली का प्रमाण है। ये करीब सात शताब्दी तक गाद में दबी रही। इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने वापस खोजा। एएसआई ने साय आर्क और स्कॉटिस टेन के सहयोग से वाव के दस्तावेजों का डिजिटलाइजेशन भी कर लिया है।