रियल स्टेट ने की सीमेंट नियामक प्राधिकरण बनाने की मांग, ताकि कीमतों पर लगाई जा सके लगाम

बीएआई ने यह मांग विभिन्न तरह की संवैधानिक संस्थाओं, समितियों की सिफारिशों और संसदीय समितियों को भेजे गये प्रपत्रों के आधार पर की है। पत्र में बीएआई ने लिखा है कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने तथ्यात्मक तौर पर पाया है कि सीमेंट उद्यमियों ने आपस में ही गुट बना लिया है, जिसके जरिए सीमेंट की बिक्री की दरों को आसानी से प्रभावित और नियंत्रित किया जाता है।

Real estate demands to create cement regulatory authority so that prices can be controlled

नई दिल्ली। बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (बीएआई) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीमेंट उद्योग में मुनाफाखोरी और गुटबाजी रोकने के लिए सीमेंट नियामक प्राधिकरण के गठन की मांग की है। पांच नवंबर, 2020 को लिखे गए एक पत्र में बीएआई के अध्यक्ष मू. मोहन ने कहा है कि इस तरह के नियामक के गठन से सीमेंट उद्योग में अनैतिक ढंग से हो रहे व्यापार के चलन की रोकथाम में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि अवैध और अनैतिक तरीके से हो रहे इस व्यापारिक चलन से देश के आर्थिक विकास पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है और इससे आम आदमी के हितों के साथ-साथ निर्माण उद्योग के हितों को भी भारी नुकसान हो रहा है।

बीएआई ने यह मांग विभिन्न तरह की संवैधानिक संस्थाओं, समितियों की सिफारिशों और संसदीय समितियों को भेजे गये प्रपत्रों के आधार पर की है। पत्र में बीएआई ने लिखा है कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने तथ्यात्मक तौर पर पाया है कि सीमेंट उद्यमियों ने आपस में ही गुट बना लिया है, जिसके जरिए सीमेंट की बिक्री की दरों को आसानी से प्रभावित और नियंत्रित किया जाता है। इसे देखते हुए आयोग ने 10 सीमेंट उद्यमियों और सीमेंट मैन्युफैक्च रिंग एसोसिएशन पर 6,307.32 करोड़ रुपये का जुमार्ना भी लगाया है। पत्र में वाणिज्य मंत्रालय से जुड़ी संसदीय समिति के अवलोकन की रिपोर्ट का भी हवाला दिया गया है। फरवरी, 2011 को राज्यसभा में पेश की गई 'परफॉर्मेंस ऑफ सीमेंट इंडस्ट्री' शीर्षक वाली 95वीं रिपोर्ट में सीमेंट उद्योग के? लिए नियामक प्राधिकरण की सिफारिश की गई थी।

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