ऋषि कुमार शुक्ला बने सीबीआई के नए प्रमुख, कमलनाथ ने एमपी के डीजीपी पद से था हटाया

By Team MyNation  |  First Published Feb 2, 2019, 6:08 PM IST

चयन समिति में शामिल कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन ने कम अनुभव होने का हवाला देकर जताई थी शुक्ला के चयन पर असहमति। 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी शुक्ला का कार्यकाल दो साल का होगा।

देश की शीर्ष जांच एजेंसी सीबीआई को आखिरकार नियमित बॉस मिल गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार समिति ने आईपीएस अधिकारी ऋषि कुमार शुक्ला को सीबीआई का नया निदेशक नियुक्त किया है। 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी शुक्ला मध्य प्रदेश के डीजीपी भी रह चुके हैं। ऋषि कुमार शुक्ला का कार्यकाल दो साल का होगा। हालांकि उनकी नियुक्ति का समिति में शामिल लोकसभा में कांग्रेस सांसद दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने विरोध किया। उनका कहना था कि शुक्ला को भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करने का अनुभव नहीं है।

विवाद रहित छवि होने के चलते ही ऋषि कुमार शुक्ला को इस अहम पोस्ट के लिए चुना गया है। खास बात यह है कि कुछ दिन पहले ही मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने शुक्ला को पद से हटाकर वीके सिंह को राज्य का नया डीजीपी बनाया था। शुक्ला मध्य प्रदेश के 28वें डीजीपी रहे। कमलनाथ की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार ने उन्हें एमपी पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन भेज दिया था। शुक्रला ने खुफिया ब्यूरो में ज्वाइंट निदेशक के  तौर पर काम किया है। वह ग्वालियर के रहने वाले हैं और आईआईटी के छात्र रहे हैं। 

खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली चयन समिति की पहली फरवरी की बैठक के संदर्भ में शनिवार को असहमति पत्र लिखा। शुक्ला और पैनल में शामिल कुछ अन्य अधिकारियों का हवाला देते हुए खड़गे ने कहा कि भ्रष्टाचार विरोधी जांच का अनुभव नहीं रखने वाले अफसरों को पैनल में शामिल करके दिल्ली विशेष पुलिस संस्थापना कानून और कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया गया है। उनका कहना है, समिति ने सहमति जताई थी कि पैनल में नामों के शामिल करने के लिए वरिष्ठता क्रम, एसीआर (वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट) और भ्रष्टाचार विरोधी जांच का कम से कम 100 महीने के अनुभव तीन प्रमुख आधार बनाए गए थे, लेकिन इनका पालन नहीं किया गया। 
खड़गे ने सुप्रीम कोर्ट के ‘विनीत नारायण मामले’ से जुड़े आदेश का भी हवाला दिया जिसमें इन तीन बिंदुओं पर जोर दिया गया था।

Congress leader Mallikarjun Kharge in a dissent note to the Prime Minister expressed his objection over the appointment of IPS officer Rishi Kumar Shukla as the new CBI Director citing the officer's lack of experience in anti-corruption investigations. (File pic) pic.twitter.com/B8XcEfbSqc

— ANI (@ANI)

शुक्ला के चयन पर खड़गे द्वारा सवाल उठाए जाने पर केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा है कि कांग्रेस नेता सीबीआई प्रमुख के चयन के लिए तय मानदंडों को अपने सहूलियत से बदलना चाहते थे। चयन समिति में शामिल खड़गे अपनी पसंद के अधिकारियों को चुनना चाहते थे। खड़गे जो कुछ भी कह रहे हैं वह तथ्यों पर आधारित नहीं है। सीबीआई निदेशक के चयन के लिए बहुत ही निष्पक्ष मानदंडों का पालन किया गया है। 

Jitendra Singh, MoS PMO on Mallikarjun Kharge's dissent note to PM over appointment of new CBI Director: It's rather Mr. Kharge who is guilty of trying to have manipulated independent assessment based criteria, in order to accommodate names of his preference. https://t.co/6g6cPSg1Nl

— ANI (@ANI)

इससे पहले वाईसी मोदी और बीएसएफ के महानिदेशक रजनीकांत मिश्रा को सीबीआई के नए प्रमुख की होड़ में सबसे आगे माना जा रहा था। हालांकि दोनों ही नामों को नियुक्ति समिति ने खारिज कर दिया था। इस रेस में वीके जौहरी, एसएस देसवाल और जावीद अहमद का नाम भी था। 

10 जनवरी को आलोक वर्मा को निदेशक पद से हटाने के बाद केंद्र सरकार ने एम नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक नियुक्त किया था। तभी से सीबीआई प्रमुख का पद खाली था। एक दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई निदेशक की नियुक्ति में देरी पर नाखुशी जाहिर की थी। 

पिछले साल नवंबर में सीबीआई की अंदरूनी लड़ाई तब सतह पर आ गई जब तत्कालीन निदेशक आलोक वर्मा और तत्कालीन विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने एक दूसरे के खिलाफ रिश्वतखोरी के सनसनीखेज आरोप लगाए थे। अस्थाना के खिलाफ सीबीआई ने केस दर्ज कर लिया था। बाद में केंद्र सरकार ने दखल देते हुए वर्मा और अस्थाना दोनों को जबरन छुट्टी पर भेज दिया। 

इसके बाद एम नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक नियुक्ति किया गया। मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा तो केंद्र ने कहा कि सीबीआई के दोनों शीर्ष अधिकारी 'बिल्लियों की तरह लड़' रहे थे। वर्मा ने खुद को छुट्टी पर भेजे जाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर जनवरी में कोर्ट ने उन्हें बतौर सीबीआई निदेशक बहाल करने का आदेश दिया। हालांकि, बाद में पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार समिति ने 2-1 के बहुमत से लिए गए फैसले में वर्मा का सीबीआई से बाहर तबादला का आदेश दिया था। 

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