आशंका है कि रोहिंग्या को भारत में आतंकवाद फैलाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। केंद्र सरकार का मानना है कि देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए रोहिंग्या बड़ा खतरा साबित हो सकते हैं।
जम्मू-कश्मीर और तेलंगाना के बाद दिल्ली-एनसीआर रोहिंग्याओं के लिए नया 'घर' बनता जा रहा है। 'माय नेशन' के पास उपलब्ध एक्सक्लूसिव डाटा के अनुसार, रोहिंग्या दिल्ली और हरियाणा को अपनी पहली पसंद बना रहे हैं।
गृह मंत्रालय द्वारा जुटाए गए डाटा के मुताबिक, हरियाणा रोहिंग्याओं के लिए देश में तीन सुरक्षित बसाहटों में से एक है। दरअसल, एक राज्य में कार्रवाई होने पर ये लोग सीमा से सटे जिलों से भागकर दूसरे राज्य में पहुंच जाते हैं।
इस बात की भी आशंका है कि रोहिंग्या को भारत में आतंकवाद फैलाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। केंद्र सरकार का मानना है कि देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए रोहिंग्या बड़ा खतरा साबित हो सकते हैं। फरवरी 2018 में सुजवां सैन्य शिविर में हुए आतंकी हमले में भी रोहिंग्याओं की भूमिका सामने आई थी। सुरक्षा एजेंसियों ने जांच में पाया था कि आतंकियों ने इस हमले के अंजाम देने के लिए सुजवां कैंप से सटे रोहिंग्याओं की अवैध बस्ती में शरण ली थी।
हरियाणा में लगभग 1536 रोहिंग्या रहते हैं। वहीं राजधानी दिल्ली में इनकी संख्या 865 है। यहां से लोग दक्षिण-पूर्व और उत्तर-पूर्व दिल्ली में रहते हैं। गृहमंत्रालय के डाटा के अनुसार, भारत में रहने वाले रोहिंग्याओं में से 15% जम्मू-कश्मीर में रहते हैं। डाटा के अनुसार, आतंकवाद से प्रभावित जम्मू-कश्मीर में 6373 रोहिंग्या रहते हैं, वहीं तेलंगाना में रहने वाले रोहिंग्याओं की संख्या 5061 है।
केंद्रीय गृहमंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हमने सभी राज्यों से जल्द से जल्द आंकड़े उपलब्ध कराने को कहा है। ताकि उसके अनुसार आगे की योजना तैयार की जा सके। म्यांमार के दूतावास के फॉर्मों के आधार पर राज्य इस तरह के आंकड़े जुटा रहे हैं। हमने यूआईडीएआई और दूसरी एजेंसियों से इन लोगों द्वारा फर्जी दस्तावेज के आधार पर जुटाए गए भारतीय पहचान पत्रों को कैंसिल करने को भी कहा है।'
केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने यूआईडीएआई को एक पत्र भेजकर रोहिंग्याओं का आधार कार्ड तत्काल प्रभाव से कैंसिल करने को कहा है। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण यानी यूआईडीएआई पहले ही तेलंगाना में रह रहे 10 रोहिंग्याओं के आधार कार्ड रद्द कर चुका है।
ऐसे कई राज्य हैं जिन्होंने अपने यहां रहने वाले रोहिंग्याओं से जुड़ी जानकारियों को एकत्रित नहीं किया है। केंद्रीय गृहमंत्रालय अब भी सभी राज्यों से पूरा डाटा मिलने का इंतजार कर रहा है।
2014 में पांच रोहिंग्या भारत में घुसे थे। उन्हें अवैध रूप से भारत में घुसने के आरोप में असम के सोनितपुर जिले में तेजपुर जेल के अंदर विदेशी पूछताछ कैंप में रखा गया था। म्यांमार के इन पांच नागरिकों की पहचान मोहम्मद रियास, अहमद हुसैन, मोहम्मद अयास, तय्यबा खातून और अजीदा बेगम के रूप में हुई थी। अक्टूबर 2018 में सात रोहिंग्याओं को म्यांमार सीमा के रास्ते उनके देश लौटाया गया है।