संजीव भट्ट की ओर से दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। मामले की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि इस मामले में ट्रायल पूरा हो चुका है। कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। लिहाजा अब गवाहों को समन जारी करना ठीक नही होगा।
नई दिल्ली: गुजरात के बर्खास्त भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी संजीव भट्ट ने गुजरात हाइकोर्ट के सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। हाइकोर्ट ने तीन दशक पुराने हिरासत में मौत के एक मामले में सुनवाई के दौरान पूछताछ के लिए कुछ अतिरिक्त गवाहों को बुलाने के भट्ट के अनुरोध को खारिज कर दिया था। गुजरात सरकार की ओर से वकील रजत नायर ने इसे पूर्व अधिकारी की मामले को लटकाने की चाल करार दिया।
हालांकि भट्ट की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद ने याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग करते हुए कहा था कि सुनवाई चालू है और इन गवाहों से पूछताछ जरूरी है।
जबकि नायर ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाइकोर्ट के 16 अप्रैल के इस आदेश को चुनौती देने वाली इसी तरह की एक याचिका पर पहले भी फैसला दिया है।
भट्ट के खिलाफ मामला तब शुरु हुआ जब उन्हें 1989 में हिरासत में हुई मौत के एक मामले में आरोपी हैं। उस समय वह गुजरात के जामनगर में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्यरत थे। अभियोजन पक्ष के मुताबिक संजीव भट्ट ने वहां एक साम्प्रदायिक दंगे के दौरान सौ से ज्यादा लोगो को हिरासत में लिया था और इनमें से एक व्यक्ति की रिहा किये जाने के बाद अस्पताल में मौत हो गई थी।
संजीव भट्ट को 2011 में बिना अनुमति के ड्यूटी से नदारद रहने और सरकारी गाड़ियों का दुरुपयोग करने के आरोप में निलंबित कर दिया गया था और बाद में अगस्त 2015 में उन्हें बर्खास्त कर दिया गया।
इससे नाराज होकर संजीव भट्ट ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।