शिवराज के राज में सिंधिया बने 'महाराज'

असल में राज्य में होने वाले विधानसभा उपचुनाव की झलक कैबिनेट विस्तार में देखने को मिली है। इसमें सबसे ज्यादा फायदा ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों को मिला है। जबकि पार्टी ने पुराने नेताओं को कैबिनेट से दूर रखकर सिंधिया समर्थकों को शामिल किया है।

Scindia became Maharaj under the rule of Shivraj

भोपाल। मध्य प्रदेश में आज शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट का विस्तार हो गया है। आज के विस्तार में सबसे ज्यादा मजबूती के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया उभरे हैं। राज्य में कैबिनेट विस्तार में पार्टी ने सिंधिया खेमे को सबसे ज्यादा तवज्जो दी है। जबकि शिवराज सिंह समेत कई धड़े के नेताओं को समर्थकों को कैबिनेट में जगह नहीं मिली है जबकि सिंधिया के 11 समर्थकों को कैबिनेट में शामिल किया गया है।

Scindia became Maharaj under the rule of Shivraj

असल में राज्य में होने वाले विधानसभा उपचुनाव की झलक कैबिनेट विस्तार में देखने को मिली है। इसमें सबसे ज्यादा फायदा ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों को मिला है। जबकि पार्टी ने पुराने नेताओं को कैबिनेट से दूर रखकर सिंधिया समर्थकों को शामिल किया है। इसके पार्टी ने कांग्रेस कभी संदेश दिया है कि जो भी भाजपा में आएगा उसको सम्मान दिया जाएगा।

आज राज्य में लंबे इंतजार के बाद शिवराज कैबिनेट का विस्तार आखिरकार हो ही गया। हालांकि पहले से कयास लगाए जा रहे थे कि इस हफ्ते कैबिनेट का विस्तार होगा। लेकिन पिछले दिनों ये टल गया था। लेकिन राज्य में होने वाले  उपचुनाव के मद्देनजर राज्य में कैबिनेट विस्तार होना ही था, लिहाजा उपचुनावों में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की रणनीति के तहत सिंधिया समर्थकों को तवज्जो दी गई है। हालांकि पार्टी में आए सिंधिया को ज्यादा महत्व देने के कारण पार्टी को पुराने नेताओं को कैबिनेट जगह न देने के कारण उनकी नाराजगी को कम करना होगा। 

राज्य में शिवराज कैबिनेट में 28 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई। इसमें 9 सिंधिया के समर्थक हैं। वहीं सिंधिया के करीबी माने जाने वाले तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह पहले से ही कैबिनेट में है। लिहाजा राज्य में शिवराज कैबिनेट में सिंधिया समर्थकों की संख्या 11 हो गई है। वहीं सिंधिया के साथ पार्टी छोड़ने वाले 22 विधायकों में से 11 मंत्री नियुक्त किए गए हैं। वहीं राज्य में चर्चा है कि कैबिनेट विस्तार में सीएम शिवराज की नहीं चली। वहीं नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय और नरोत्तम मिश्रा जैसे कद्दावर नेता भी अपने समर्थकों को कैबिनेट में जगह नहीं दिला सके। 
 

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