दो महीने पहले ही सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर और बाद में उनके 22 समर्थक विधायकों को इस्तीफा देकर राज्य की सियासत को बदल दिया था। राज्य में कांग्रेस की सरकार सत्ता से बेदखल हो गई और कमलनाथ को सीएम के पद से इस्तीफा देना पड़ा था। लिहाजा अब कमलनाथ और कांग्रेस सिंधिया से इससे बदला लेना चाहते हैं।
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में अगले कुछ महीनों के बाद होने वाले उपचुनाव को लेकर सियासी हलचल काफी तेज है। भाजपा के साथ ही कांग्रेस भी खुलकर तैयारियां कर रही हैं और सियासी बिसात बिछाने शुरू हो गए हैं। लेकिन चुनाव पूरी तरह से ज्योतिरादित्य सिंधिया पर ही केन्द्रित हैं। कांग्रेस जहां सिंधिया के गढ़ में उन्हें चित करना चाहती है। वहीं भाजपा उन्हें महाराज की तरह पेश कर रही है।
दो महीने पहले ही सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर और बाद में उनके 22 समर्थक विधायकों को इस्तीफा देकर राज्य की सियासत को बदल दिया था। राज्य में कांग्रेस की सरकार सत्ता से बेदखल हो गई और कमलनाथ को सीएम के पद से इस्तीफा देना पड़ा था। लिहाजा अब कमलनाथ और कांग्रेस सिंधिया से इससे बदला लेना चाहते हैं। सिंधिया के कारण ही राज्य में भाजपा सरकार की सत्ता में वापसी संभव हुई। वहीं राज्य में सत्ता बचाने के लिए भाजपा को उपचुनाव के 9 विधायकों की जरूरत होगी।
लिहाजा इसके लिए भाजपा सिंधिया की तरफ देख रही है। क्योंकि राज्य की 24 सीटों में 16 सीटें सिंधिया के गढ़ कर जाने वाले ग्वालियर और गुना में ही हैं। फिलहाल कोरोना के संकट काल में दोनों दलों के पास कोई बड़ा मुद्दा नहीं है। लिहाजा जहां भाजपा उन्हें महाराज की तरह पेश कर रही है। वहीं कांग्रेस उन्हें गद्दार बता रही है। लिहाजा राज्य का पूरा चुनाव सिंधिया के इर्दगिर्द घूम रहा है। वहीं कांग्रेस चुनाव को सिंधिया बनाम कमलनाथ पेश कर रही है।
कांग्रेस की राह है मुश्किल
राज्य में होने वाले उपचुनावों के लिए कांग्रेस की राह आसान नहीं है।ये बात कांग्रेस भी अच्छी तरह से जानती है। लिहाजा वह सिंधिया पर सीधे हमले कर रही है। कांग्रेस को राज्य में सत्ता में वापसी के लिए सभी 24 सीटों पर जीत हासिल करनी होगी। जो वर्तमान में मुश्किल दिख रही है। लिहाजा कांग्रेस सिंधिया को निशाने बनाने हुए पार्टी को वहां पर मजबूत कर रही है। कांग्रेस सिंधिया के गढ़ में ये प्रचारित कर रही है कि धोखा देने वाले को तिस्कार मिलता है।