सीट बंटवारे को लेकर झारखंड में फंसा राजग में पेंच, सहयोगी मांग रहे हैं उम्मीद से दो गुनी सीट

By Team MyNationFirst Published Nov 7, 2019, 5:53 PM IST
Highlights

असल में झारखंड में लोजपा भाजपा से छह से ज्यादा सीट मांग रही हैं। राज्य में भाजपा आजसू और लोजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। वहीं कांग्रेस झामुमो के साथ मिल कर चुनाव लड़ने की तैयारी में है। हालांकि किसी के बीच सीटों का बंटवारा नहीं हो सका है। वहीं भाजपा की सहयोगी लोजपा ने राज्य में छह से ज्यादा सीटों पर दावेदारी ठोकी है।

रांची। झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में सीटों के बंटवारे का पेंच फंस गया है। यहां पर भाजपा के सहयोगी उससे उम्मीद से ज्यादा सीट मांग रहे हैं। हालांकि जनता दल यूनाइटेड ने पहले ही ऐलान कर दिया है कि वह राज्य में अपने बलबूते चुनाव लड़ेगी। जिसके कारण भाजपा की मुश्किलें पहले से ही बढ़ी हुई हैं।

असल में झारखंड में लोजपा भाजपा से छह से ज्यादा सीट मांग रही हैं। राज्य में भाजपा आजसू और लोजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। वहीं कांग्रेस झामुमो के साथ मिल कर चुनाव लड़ने की तैयारी में है। हालांकि किसी के बीच सीटों का बंटवारा नहीं हो सका है। वहीं भाजपा की सहयोगी लोजपा ने राज्य में छह से ज्यादा सीटों पर दावेदारी ठोकी है। जिसको लेकर भाजपा परेशान है। क्योंकि राज्य में लोजपा का कोई अस्तित्व नहीं है। उसके बावजूद वह छह सीटों का दावा कर रही है। इसके लिए लोजपा ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और कार्यकारी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा को पत्र लिखा है।

लोजपा की कमान अब राम विलास पासवान के बेटे चिराग पासवान के हाथ में है और वह दावा कर रहे हैं कि राज्य में उनकी पार्टी अच्छा प्रदर्शन करेगी। लिहाजा लोजपा राज्य में जरमुंडी, हुसैनाबाद, लातेहार, पांकी, बड़कागांव, नाला विधानसभा सीटों पर दावा कर रही है। लोजपा का दावा है कि यहां पर पार्टी का संगठन है और वह इन सीटों को जीत सकती है। वहीं दूसरी तरफ ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) ने भी भाजपा से सीटों के बंटवारे की स्थिति को साफ करने को कहा है।

गौरतलब है कि राज्य की 81 सदस्यीय विधानसभा के लिए 30 नवंबर से 20 दिसंबर के बीच चुनाव होने हैं। राज्य के नक्सल प्रभावित होने के कारण चुनाव आयोग ने पांच चरणों में मतदान कराने का फैसला किया है। असल में 2014 में भाजपा को 37 सीटें मिली थी और उसने झारखंड विकास मोर्चा से टूटकर विलय करने वाले छह विधायकों के सहारे सरकार बनाई थी। ये सरकार राज्य के गठन से पहली सरकार है तो पांच साल तक चली।

click me!