मोदी राज में दूसरी बार इतिहास बनाएगा आईसीएआर,गांधी, कृषि और किसान की थीम में निकालेगा झांकी

By Harish Tiwari  |  First Published Jan 22, 2019, 10:00 PM IST

मोदी सरकार कृषि और किसानों को किस तरह तवज्जो दे रही है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गणतंत्र दिवस के मौके पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद यानी आईसीएआर दूसरी बार कृषि और किसान की झांकी निकाली जाएगी. 

मोदी सरकार कृषि और किसानों को किस तरह तवज्जो दे रही है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गणतंत्र दिवस के मौके पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद यानी आईसीएआर दूसरी बार कृषि और किसान की झांकी निकाली जाएगी. मोदी सरकार ने दूसरी बार भारतीय कृषि अनुसंधान की झांकी को मंजूरी दी थी. देश केआजादी के पिछले साल मोदी सरकार ने पहली बार आईसीएआर को झांकी निकालने की मंजूरी दी थी. जबकि इससे पहले कभी किसी भी सरकार ने इसके लिए आईसीएआर को मंजूरी नहीं दी. इस बार थीम गांधी, कृषि, किसान और पशुपालन पर आधारित होगी.

ऐसा माना जा रहा है कि केन्द्र सरकार जल्द ही किसानों के लिए बड़ी राहत देने वाली है. इससे पहले भी सरकार किसानों की न्यूनतम समर्थन मूल्य दोगुना करने के लिए बड़ा कदम उठा चुकी है. लेकिन केन्द्र के पहल के बाद इस बार भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद को आजादी के बाद दूसरी बार गणतंत्र दिवस(26 जनवरी 2019) के मौके पर राजपथ पर झांकी निकालेगी. इससे पहले पिछले साल पहली बार झांकी निकाली थी. यानी कृषि को लेकर सरकार की संजीदगी समझी जा सकती है. आईसीएआर ने किसान, खेत के साथ ही राष्ट्रपति महात्मा गांधी को अपनी थीम में रखा है.

असल में गांधी को थीम में रखने का मकसद महात्मा गांधी की कृषि और किसान को लेकर उनकी सकारात्मक सोच है. पिछले साल पूरे देश में केंद्र सरकार ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाई थी. कम हो लोगों को मालूम होगा कि अपनी जिज्ञासु प्रवृत्ति के कारण उन्होंने दुग्ध उत्पादन के बारे में ज्ञान अर्जन हेतु भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान के बेंगलोर केंद्र पर साल 1927 में 15 दिनों का प्रशिक्षण लिया था .

इसके साथ ही गांधी ने इंदौर स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ प्लांट इंड्रस्टी में साल में 1935 में स्वंय जाकर कम्पोस्ट तैयार करने की प्रक्रिया देखी. गांधी ने अपने विचारों में स्वदेशी नस्लों, जैविक कृषि तथा बकरी के दूध को उत्तम स्वास्थ्य के लिए बढ़ावा देना शामिल किया था. आईसीएआर की इस झांकी में दुग्ध उत्पादन, देसी नस्लों के विकास एवं उपयोग तथा पशुपालन आधारित जैविक कृषि की उपयोगिता के साथ ही गांव की समृद्धि का दिखाया गया है.

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