सुरक्षा बलों को कश्मीर में पिछले छह महीने से ‘फिदायीन’ आदिल अहमद डार की तलाश थी

By ankur sharma  |  First Published Feb 14, 2019, 8:31 PM IST

जैश ए मोहम्मद के आतंकवादी आदिल अहमद डार ने विस्फोटकों से लदी गाड़ी ले जाकर सीआरपीएफ जवानों से भरी गाड़ी में टकरा दी। जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुई इस घटना में चालीस से ज्यादा जवानों की शहादत हुई और लगभग 50 लोग घायल हुए। पिछले कुछ दिनों में यह कश्मीर में हुआ सबसे बड़ा आतंकवादी हमला था। 

सुरक्षा बलों को आदिल अहमद डार की तलाश पिछले छह महीनों से थी। आदिल वही फिदायीन है जिसने आत्मघाती हमले में इतनी बड़ी संख्या में जवानों की जान ले ली। 
सुरक्षा बलों से जुड़े विश्वस्त सूत्रों ने माय नेशन को जानकारी दी कि आदिल अपने घर से फरार था और उसके घरवालों ने स्थानीय थाने में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

यह उन्हीं 191 संदिग्धों में से एक था जिसके विवरण सीआरपीएफ सहित सभी सुरक्षा बलों को उपलब्ध कराई गई थी। 

जम्मू कश्मीर क्षेत्र में विशेष अभियानों के लिए तैनात एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ‘हम पिछले छह महीनों से उसकी तलाश कर रहे थे। उसने अपना घर छोड़कर आतंकवाद का रास्ता चुन लिया था। उसने अपने जो फोटोग्राफ सोशल मीडिया पर शेयर किए थे, उनसे यह जाहिर होता है कि उसने जैश ए मोहम्मद ज्वाइन कर लिया था। सभी सुरक्षा एजेन्सियों को उसकी तलाश थी। लेकिन हमें यह जानकारी नहीं थी कि वह फिदायीन हमले की तैयारी कर रहा है।’

सूत्रों ने जानकारी दी है कि डार को पुलवामा गुंडीबाग इलाके में वकास कमांडों के नाम से जाना जाता था। प्रोपगैंडा फैलाने के लिए आधुनिक हथियारों के साथ उसकी बहुत सी तस्वीरें फेसबुक पर फैलाई गई थीं। 

जब खुफिया नाकामी की चर्चा हुई तो अधिकारी ने स्पष्टीकरण दिया कि ‘एजेन्सियों के लिए उस कार को पहचानना लगभग असंभव था, जिसमें डार ने लगभग 100 किलो आईईडी लादकर आया था।’

सीआरपीएफ के सूत्र बताते हैं कि हमले में 100 किलो आईईडी का इस्तेमाल किया गया, लेकिन आतंकवाद समर्थक एक सोशल मीडिया अकाउंट के मुताबिक 200 किलो आईईडी का इस्तेमाल किया गया। 

अधिकारी का कहना है कि ‘विस्फोट के लिए लाई गई आईईडी की मात्रा विशेषज्ञों द्वारा जांच किए जाने के बाद ही प्रमाणित होगी। 

हादसे में मरने वालों की संख्या में और इजाफा हो सकता है। क्योंकि विस्फोट का दायरा बहुत बड़ा था। 
 

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