मायावती को लगा सुप्रीम कोर्ट से झटका

By Gopal KFirst Published Apr 16, 2019, 11:42 AM IST
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गलत बयानबाजी के मामले में बसपा सुप्रीमो मायावती को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। मायावती ने सुप्रीम कोर्ट से उन पर चुनाव आयोग द्वारा लगाया गया प्रतिबंध हटाने की मांग की। जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में पेश मायावती के वकील दुष्यंत दवे ने कहा की चुनाव आयोग ने बिना मायावती को अपना पक्ष रखने का मौका दिए एकतरफा कार्रवाई करते हुए उनके चुनाव प्रचार पर 48 घंटे की रोक लगा दी है। इस आदेश को रद्द किया जाना चाहिए। लेकिन मुख्य न्यायाधीश ने कहा हमे नहीं लगता कि इसमे कोई आदेश दिया जाना चाहिए। 

वहीं आयोग के प्रतिनिधिं ने बताया कि हमने मायावती, आजमखान, योगी आदित्यनाथ और मेनका गांधी जैसे कई नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की है। जिसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने चुनाव आयोग की कार्रवाई पर संतुष्टि व्यक्त करते हुए कहा कि लगता है, चुनाव आयोग को उनकी शक्तियां वापस मिल गई हैं। ऐसी स्थिति में कोर्ट को किसी भी अंतरिम आदेश की जरूरत नहीं है। 

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना ने दिया है। एक दिन पहले मामले की सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने कोर्ट में कहा था कि अगर कोई आचार संहिता का उल्लंघन करता है तो वह केवल नोटिस और एडवाइजरी जारी कर सकता है। वो ना तो किसी को अयोग्य करार दे सकता है और ना ही किसी पार्टी को डि रजिस्टर कर सकता है? चुनाव आयोग ने यह बाते तब कही जब चुनाव के दौरान राजनीतिक पार्टियों द्वारा धार्मिक या जातिगत बयानों के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हो रही थी। 

मामले की सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया था कि चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन करने पर योगी आदित्यनाथ के खिलाफ दो शिकायत और मायावती के खिलाफ एक शिकायत चुनाव आयोग को मिली है, साथ ही चुनाव आयोग ने कुछ और शिकायतें मिलने का भी बात कही जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए आयोग से पूछा था कि आयोग ने इन शिकायतों पर क्या कार्रवाई की है। 

सुप्रीम कोर्ट के इस सख्ती के बाद आयोग ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर 72 घंटे और मायावती को 48 घण्टे तक चुनाव प्रचार प्रसार पर रोक लगा दिया। वही देर शाम तक आयोग ने केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता मेनका गांधी पर 48 घंटे जबकि आजम खान पर 72 घंटे तक कि पाबंदी लगाई है। 

पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों के प्रवक्ताओं और प्रतिनिधियों के बयानों को लेकर चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया था। इस संबंध में दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि धार्मिक या जातिगत टिप्पणी करने वाले प्रवक्ताओं या प्रतिनिधियों के खिलाफ चुनाव आयोग कार्रवाई करें।

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