महाराष्ट्र में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शिवसेना को दूसरे बड़े दल होने के नाते राज्य में सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया है। इसी के मद्देनजर शिवसेना के नेता अरविंद सावंत ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफे का ऐलान किया है। शिवसेना की अंदरखाने एनसीपी और कांग्रेस से बातचीत चल रही है। जिसके लिए एनसीपी पहले शर्त रखी थी कि सेना औपचारिक तौर से भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ने का ऐलान करे और अपने मंत्री से इस्तीफा दिलाए।
मुंबई। महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए तैयार बैठी शिवसेना ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की पहली शर्त को मान लिया है। केन्द्र सरकार में शिवसेना के कोटे से मंत्री अरविंद सावंत ने केन्द्रीय कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि शिवसेना ने औपचारिक तौर पर एनसीए से बाहर जाने की घोषणा नहीं की है। लेकिन एनसीपी ने इसके लिए पहली शर्त रखी थी कि शिवसेना पहले भाजपा से अपना गठबंधन तोड़ने का ऐलान करे।
महाराष्ट्र में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शिवसेना को दूसरे बड़े दल होने के नाते राज्य में सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया है। इसी के मद्देनजर शिवसेना के नेता अरविंद सावंत ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफे का ऐलान किया है। शिवसेना की अंदरखाने एनसीपी और कांग्रेस से बातचीत चल रही है। जिसके लिए एनसीपी पहले शर्त रखी थी कि सेना औपचारिक तौर से भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ने का ऐलान करे और अपने मंत्री से इस्तीफा दिलाए। इसके बाद दोनों दलों के बीच गठबंधन के लिए बातचीत होगी।
एनसीपी ने साफ किया है वह सशर्त शिवसेना को समर्थन देगी। हालांकि अब तकरीबन ये तय हो गया है कि शिवसेना और एनसीपी राज्य में सरकार बनाने जा रही है। लेकिन इस सरकार में कांग्रेस की क्या भूमिका रहेगी। ये तय नहीं है। क्योंकि कांग्रेस सरकार में शामिल होगी या फिर बाहर से समर्थन देगी। इसके लिए कई तरह के विरोधाभाषी बयान आ रहे हैं। हालांकि राज्य के ज्यादातर नेता यही चाहते हैं कि कांग्रेस सरकार में शामिल हो। वहीं केन्द्रीय नेतृत्व इस पर विचार कर रहा है। कल ही कांग्रेस के दिग्गज नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने साफ किया था कि कांग्रेस सरकार में शामिल नहीं होगी।
बहरहाल मोदी कैबिनेट से इस्तीफा देने वाले अरविंद सावंत केन्द्र सरकार में भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम मंत्री हैं। उनके इस्तीफे से ये तय हो गया है कि अब शिवसेना एनडीए का साथ छोड़ सकती है। गौरतलब है कि महाराष्ट्र शिवसेना के पास 56 विधायक हैं जबकि सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी के पास 105 विधायक हैं। वहीं एनसीपी के पास 54 और कांग्रेस के पास 44 विधायक हैं। ये तीन दल मिलकर राज्य में सरकार बना सकते हैं।