अभी तक शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के नेताओं की आपस में बैठकें हो चुकी हैं। शिवसेना एनसीपी के जरिए कांग्रेस से बातचीत कर रही है। जबकि कांग्रेस भी इस मामले में ज्यादा तवज्जो एनसीपी को दे रही है। हालांकि न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तैयार हो गया है। अब इस पर तीनों दलों के नेताओं को अपनी सहमति देकर हस्ताक्षर करने हैं। लेकिन इस पूरे प्रकरण में अगर कोई पार्टी सबसे कमजोर हुई है तो वह शिवसेना है। क्योंकि भाजपा के साथ सरकार बनाकर शिवसेना को ज्यादा विभाग मिल सकते थे।
मुंबई। महाराष्ट्र में उम्मीद की जा रही है कि अगले हफ्ते तक राज्य में शिवसेना की सरकार बन जाएगी। इस सरकार का स्वरूप कैसा होगा। हालांकि अभी तक कयास ही लगाए जा रहे थे। लेकिन साफ हो गया है कि जिस फार्मूले के लिए शिवसेना भाजपा पर दबाव बना रही थी। वही फार्मूला उसकी फांस बन गया है। लिहाजा राज्य में बनने वाले कैबिनेट में शिवसेना और एनसीपी के 14-14 मंत्री होंगे जबकि कांग्रेस के 12 मंत्रियों को इसमें शामिल किया जाएगा।
हालांकि अभी तक शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के नेताओं की आपस में बैठकें हो चुकी हैं। शिवसेना एनसीपी के जरिए कांग्रेस से बातचीत कर रही है। जबकि कांग्रेस भी इस मामले में ज्यादा तवज्जो एनसीपी को दे रही है। हालांकि न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तैयार हो गया है। अब इस पर तीनों दलों के नेताओं को अपनी सहमति देकर हस्ताक्षर करने हैं। लेकिन इस पूरे प्रकरण में अगर कोई पार्टी सबसे कमजोर हुई है तो वह शिवसेना है। क्योंकि भाजपा के साथ सरकार बनाकर शिवसेना को ज्यादा विभाग मिल सकते थे।
हालांकि माना जा रहा है कि अगले हफ्ते तक राज्य में सरकार का रास्ता साफ हो जाएगा। पहले ढाई साल शिवसेना का उम्मीदवार सीएम के पद पर नियुक्त किया जाएगा और बाकी के ढाई साल में एनसीपी का सीएम होगा। इसके साथ ही शिवसेना को अपने उग्र हिंदुत्व के एजेंडे को किनारे रखना होगा। जबकि कांग्रेस राज्य में फिर सेक्युलर छवि बनाने की कोशिश करेगी। जानकारी के मुताबिक मंत्रियों के मुताबिक शिवसेना और एनसीपी के कोटे के 14-14 मंत्री होंगे, जबकि कांग्रेस के 12 मंत्री और साथ में कांग्रेस को विधानसभा अध्यक्ष का पद भी दिया जाएगा। जबकि गृह जैसे अहम विभाग एनसीपी के पास रहेंगे और एक पद एनसीपी के लिए पहले उपमुख्यमंत्री का होगा। इस पद पर फिर से शरद पवार के भतीजे अजीत पवार होंगे।
यही नहीं अब शिवसेना को सावरकर को भारत रत्न देने के मुद्दों से भी दूरी बनाकर रखनी होगी। वहीं अयोध्या मामले में भाजपा को कठघरे में खड़ा करने वाले शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे नरम होंगे। कांग्रेस का इस बारे में जोर है कि राज्य में मुस्लिमों को पांच फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। जिस पर शिवसेना विरोध नहीं कर सकेगी। जानकारी के मुताबिक शिवसेना से बातचीत पूरी होने के बाद न्यूनतम साझा कार्यक्रम के मुद्दों पर सोनिया गांधी और शरद पवार दिल्ली में बैठक करेंगे और इसके बाद इसमें दोनों दल मुहर लगाएंगे।
जिसके बाद राज्य में नई सरकार का रास्ता साफ होगा और शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के परिवार का कोई व्यक्ति राज्य में सीएम के पद पर नियुक्त होगा। ये कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र में बनने वाली सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में सोनिया गांधी भी हिस्सा ले सकती हैं।