महाराष्ट्र में अगले साल चुनाव है। लिहाजा इन चुनाव में शिवसेना बड़े भाई के तौर पर रहना चाहती है। जिस तरह से वह लोकसभा चुनाव में रही। हालांकि अभी तक राज्य के मुख्यमंत्री का पद बीजेपी कोटे हैं। लेकिन शिवसेना चुनाव के बाद राज्य के मुख्यमंत्री का पद अपने हाथ में लेना चाहती है। लिहाजा शिवसेना यूपी के अयोध्या के जरिए महाराष्ट्र में अपना राजनैतिक जनाधार और ज्यादा बढ़ाना चाहती है।
नई दिल्ली। केन्द्र और महाराष्ट्र सरकार में भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी शिवसेना ने अयोध्या के जरिए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को साधने की तैयारी कर रही है। अयोध्या में शिवसेना के 18 सांसद 15 जून को रामलला के दर्शन करेंगे। ताकि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हिंदू वोटरों को आसानी से साधा जा सके। साथ ही राममंदिर के मुद्दे पर बीजेपी पर दबाव बनाया जा सके।
महाराष्ट्र में अगले साल चुनाव है। लिहाजा इन चुनाव में शिवसेना बड़े भाई के तौर पर रहना चाहती है। जिस तरह से वह लोकसभा चुनाव में रही। हालांकि अभी तक राज्य के मुख्यमंत्री का पद बीजेपी कोटे हैं। लेकिन शिवसेना चुनाव के बाद राज्य के मुख्यमंत्री का पद अपने हाथ में लेना चाहती है।
लिहाजा शिवसेना यूपी के अयोध्या के जरिए महाराष्ट्र में अपना राजनैतिक जनाधार और ज्यादा बढ़ाना चाहती है। वहीं अपने को और ज्यादा कट्टर और हिंदू समर्थक साबित करना चाहती है। ताकि विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे में उसे ज्यादा फायदा मिले।
पिछले साल ही शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अयोध्या में जाकर राम मंदिर के मुद्दे को तूल दिया था और बीजेपी सरकार पर आरोप लगाया था कि वह इस मुद्दे को सिर्फ वोट के लिए इस्तेमाल करती है। शिवसेना ने केन्द्र की मोदी सरकार पर आरोप लगाया था कि वह संख्या बल होने के बावजूद राममंदिर का निर्माण नहीं कर रही है।
असल में उद्धव पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि इस बार महाराष्ट्र में उनका मुख्यमंत्री होगा। लिहाजा इससे बीजेपी की मुश्किलें बढ़ गयी हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि उद्धव ठाकरे के कार्यक्रम को शिवसेना सांसद संजय राउत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बातचीत करके ही अंतिम रूप देंगे।
हालांकि शिवसेना के अयोध्या मामले में दिलचस्पी लेने के बाद बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी हो गयी है। लिहाजा बीजेपी भी चाहती है शिवसेना का ये कार्यक्रम महज दर्शन तक ही सीमित रहे। वह इसे राजनैतिक रूप से शिवसेना का बड़ा एजेंडा नहीं बनाना चाहती है।