शिवाजी की जयंती पर विशेष: कट्टर हिंदू लेकिन सेकुलर सम्राट

By Team MyNation  |  First Published Feb 19, 2019, 8:51 AM IST

इतिहास में छत्रपति शिवाजी को ज्यादातर इतिहासकारों ने एक हिंदू कट्टर सम्राट के तौर पेश किया है। लेकिन सच्चाई इससे परे है। शिवाजी कट्टर हिंदू थे लेकिन वह उतने ही सेकुलर थे। 

इतिहास में छत्रपति शिवाजी को ज्यादातर इतिहासकारों ने एक हिंदू कट्टर सम्राट के तौर पेश किया है। लेकिन सच्चाई इससे परे है। शिवाजी कट्टर हिंदू थे लेकिन वह उतने ही सेकुलर थे। जिसके बारे में इतिहासकारों ने आने वाली पीढ़ी को नहीं बताया। शिवाजी का सेकुलरिजम इसी बात से समझा जा सकता है कि उनकी सेना में अहम पदों पर मुस्लिम थे। इब्राहिम खान और दौलत खान उनकी नौसेना के खास पदों पर थे। इब्राहिम उनकी सेना के तोपखानों का प्रमुख थे। शिवाजी सभी धर्मों का आदर करते थे, लेकिन वह धर्मांतरण के खिलाफ थे।

हिंदू सम्राट छत्रपति शिवाजी की आज 389 वीं जयंती है। शिवाजी ने अपनी वीरता और बुद्धि से मुगलों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। जबकि मुगलों के पास विशाल सेना थी। शिवाजी को हिंदू हृदय सम्राट कहा जाता है तो महाराष्ठ में उन्हें मराठा गौरव कहते हैं। शिवाजी का जन्म 19 फरवरी 1630 को हुआ था। शिवाजी पिता शाहजी और माता जीजाबाई के पुत्र थे, और उनका जन्म पुणे स्थित शिवनेरी के पास दुर्ग में हुआ था।

शिवाजी को भारतीय नौ सेना का जनक भी कहा जाता है। वह गुरिला युद्ध के विशेषज्ञ थे। उनकी अगुवाई में महाठा सामराज्य ने विस्तार किया। शिवाजी न सिर्फ एक महान शासक थे बल्कि दयालु योद्धा भी थे। इसिहास में ज्यादातर इतिहासकारों ने शिवाजी को केवल हिंदू सम्राट के तौर पर लिखा है। जबकि वह एक सेक्युलर शासक थे और वे सभी धर्मों का समान रूप से सम्मान करते थे। वह जबरन धर्मांतरण के सख्त खिलाफ थे। उनकी सेना में मुस्लिम बड़े पद पर मौजूद थे। इब्राहिम खान और दौलत खान उनकी नौसेना के खास पदों पर थे। सिद्दी इब्राहिम उनकी सेना के तोपखानों का प्रमुख था।

वह एक धार्मिक हिंदू के साथ दूसरे धर्मों का भी सम्मान करते थे। वो संस्कृत और हिंदू राजनीतिक परंपराओं का विस्तार चाहते थे। शिवाजी रणकौशल के माहिर थे। शिवाजी ने अपनी सेना की ताकत को इतना बढञा दिया था कि मुगल शासक भी उनके खौफ खाते थे। उन्होंने शिवाजी को मराने के लिए कई साजिशें की, लेकिन हर बार विफल रहे। भारतीय शासकों में वो पहले ऐसे थे जिसने नौसेना की अहमियत को समझा और सिंधुगढ़ और विजयदुर्ग में अपने नौसेना के किले तैयार किए थे। जबकि रत्नागिरी में उन्होंने अपने जहाजों को सही करने के लिए दुर्ग तैयार किया था। 

आंतकियों का सफाया करने के लिए जिस गुरिल्ला युद्ध का सेना प्रयोग करती है। उसके जनक शिवाजी को ही माना जाता है। उन्होंने गुरिल्ला युद्ध का जमकर इस्तेमाल किया गया और य़ुद्ध भी जीता। वह पेशेवर सेना तैयार करने वाले वो पहले शासक थे। मुगलों से दुश्मनी होने के बावजूद शिवाजी ने 1657 तक मुगलों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध कायम रखे थे। उन्होंने बीजापुर जीतने में शिवाजी ने औरंगजेब की मदद भी की थी, इसके लिए उन्होंने कुछ शर्तें रखी थी।

लेकिन बाद में शिवाजी और मुगलों के बीच रिश्तों में तल्खी आ गयी। शिवाजी एक दयालु शासक के तौर पर भी याद किया जाता है। उन्होंने अपने सैनिकों के लिए कड़े नियम बनाए थे। उन्होंने अपने सैनिकों को हिदायत दी थी कि वो दुश्मन सेना के सैनिकों के साथ बुरा व्यवहार नहीं करेंगे। यही नहीं वह अपनी सेना में उन्हें पद भी देते थे। किसी भी महिला को गुलाम नहीं बनाया जाता था और उन्हें इज्जत के साथ अपने घर भेजा जाएगा।

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