जानें क्यों चंद्रबाबू नायडू को लग रहे हैं लगातार झटके

By Team MyNation  |  First Published Feb 18, 2019, 10:22 PM IST

आगामी लोकसभा चुनाव से पहले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और तेलगूदेशम पार्टी के मुखिया चंद्रबाबू नायडू को झटके लगने शुरू हो गए हैं।

आगामी लोकसभा चुनाव से पहले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और तेलगूदेशम पार्टी के मुखिया चंद्रबाबू नायडू को झटके लगने शुरू हो गए हैं। उसके करीबी उनका साथ छोड़ते जा रहे हैं। महज एक हफ्ते के भीतर दो सांसदों ने टीडीपी का साथ छोड़कर वाईएसआर कांग्रेस का दामन थाम लिया है। लिहाजा आगामी लोकसभा चुनाव से पहले राज्य में वाईएसआर की ताकत लगातार बढ़ती ही जा रही है।

कभी चंद्रबाबू नायडू के करीबी रहे सांसद रवींद्र बाबू ने आज वाईएसआर कांग्रेस का दाम थाम लिया है। बाबू को पार्टी के अध्यक्ष वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने पार्टी में शामिल कराया। इससे पहले एक और सांसद ने टीडीपी से नाता तोड़कर वाईएसआर कांग्रेस का दामन थाम लिया था। करीबियों के लगातार साथ छोड़ने और वाईएसआर का दामन थामने से लग रहा है कि जगनमोहन रेड्डी की पार्टी राज्य में तेजी से उभर रही है और आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी पिछले चुनाव की तुलना में ज्यादा बेहतर प्रदर्शन कर सकती है।

ऐसा माना जा रहा है कि मार्च से शुरूआत में लोकसभा चुनाव का ऐलान हो सकता है और सभी राजनैतिक दलों ने राज्य में इस चुनावी समर में कूदने की तैयारी कर ली है। लेकिन सबसे ज्यादा दिक्कत राज्य की सत्ता पर काबिज टीडीपी को लेकर है। क्योंकि पार्टी के दिग्गज नेता और नायडू के करीबी पार्टी को छोड़कर अन्य पार्टियों का दामन थाम रहे हैं। वाईएसआर कांग्रेस को ज्वाइन करने वाले रवींद्र बाबू अमलापुरम लोकसभा सीट सांसद हैं। वह वीं साल 2014 में पहली बार सांसद चुने गए थे।

रवींद्र बाबू ने वाईएसआर कांग्रेस अध्यक्ष वाईएस जगनमोहन रेड्डी से मुलाकात की और आधिकारिक तौर पर उनकी पार्टी में शामिल हो गए हैं। बाबू एक ही हफ्ते में पार्टी से इस्तीफा देने वाले दूसरे सांसद बन गए हैं। बाबू से पहले टीडीपी सांसद एम श्रीनावास भी वाईएसआर कांग्रेस का हाथ थाम चुके हैं। वहीं टीडीपी विधायक अमांची कृष्ण मोहन भी पार्टी का साथ छोड़ चुके हैं। हाल ही में चंद्रबाबू नायडू ने दिल्ली में धरना दिया। बाबू का आरोप था कि केन्द्र सरकार राज्य को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दे रही है। नायडू कभी केन्द्र में एनडीए गठबंधन का हिस्सा थे और बाद में उन्होंने विशेष राज्य की मांग पर गठबंधन से किनारा कर लिया है।
 

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