असल में इस साल की शुरूआत के पहले दिन सचिवालय में वंदे मातरम नहीं गूंजा, क्योंकि कांग्रेस सरकार ने इस गान के गाने पर रोक लगा दी थी. जिसके बाद राज्य सरकार को भाजपा ने कठघरे में खड़ा करना शुरू कर दिया था और कांग्रेस ने भी भाजपा के हाथ बैठे बिठाए इस बड़े मुद्दे को दे दिया.
वंदे मातरम पर राज्य में विवाद थमता नहीं आ रहा है. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधायकों के साथ मिलकर आज वंदे मातरम का सामूहिक गान किया. इस मुद्दे पर अब भाजपा कांग्रेस को आसानी से छोड़ने के मूड में नहीं है.
असल में इस साल की शुरूआत के पहले दिन सचिवालय में वंदे मातरम नहीं गूंजा, क्योंकि कांग्रेस सरकार ने इस गान के गाने पर रोक लगा दी थी. जिसके बाद राज्य सरकार को भाजपा ने कठघरे में खड़ा करना शुरू कर दिया था और कांग्रेस ने भी भाजपा के हाथ बैठे बिठाए इस बड़े मुद्दे को दे दिया. इसके बाद भोपाल से लेकर दिल्ली तक कमलनाथ की नई सरकार के खिलाफ प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गयी थी.
जिसके बाद राज्य सरकार को अपना फैसला बदलना पड़ा और सरकार ने इस गान को गाजे-बाजे के साथ करने का आदेश दिया. आज एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने राज्य की कमलनाथ सरकार पर दबाव बना दिया है. सरकार को घेरने के लिए चौहान ने भोपाल स्थित मंत्रालय पार्क में बीजेपी के विधायकों के साथ सामूहिक राष्ट्रगीत गाया. इस दौरान बीजेपी के नेताओं ने वंदे मातरम का टेप चलाकर वंदे मातरम का गान किया. शिवराज ने कहा, आज हमने वंदे मातरम का निर्णय इसलिए किया था कि हमारी बीजेपी सरकार ने इसके गायन की शुरुआत की थी,
लेकिन नई सरकार ने परंपरा को तोड़ा था, इसलिए हमें आज यहां वंदे मातरम गायन करने का निर्णय किया था.हालांकि शिवराज सिंह ने इसके लिए पहले ही ऐलान किया था कि उनकी पार्टी के सभी 109 विधायक राज्य में शुरू हो रहे विधानसभा सत्र से पहले सचिवालय में वंदे मातरम गाएंगे. शिवराज ने आज विधायकों के साथ वंदेमातरम को गाकर राज्य सरकार को फिर घेरने की कोशिश की है. राज्य की जनता भी वंदेमातरम को लेकर कमलनाथ सरकार पर आक्रामक थी, जिसका सीधा फायदा शिवराज को मिल रहा है.