माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ महागठबंधन बनाने के विपक्ष के प्रयास को आगे ले जाने के लिए द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन से मुलाकात की।
चेन्नई—प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता से घबराए विपक्ष के नेता लगातार उनके खिलाफ गठबंधन बनाने को लेकर प्रयास कर रहे हैं। इसी कड़ी में अब वाम दल भी शामिल हो गए है। देश की राजनीति से लगभग अप्रासांगिक हो चुके वाम दलों ने द्रमुक की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया है।
माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ महागठबंधन बनाने के विपक्ष के प्रयास को आगे ले जाने के लिए द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन से मुलाकात की। स्टालिन से मुलाकात के बाद येचुरी ने विश्वास जताया कि ऐसा गठबंधन वास्तव में बन सकता है।
येचुरी ने कहा कि नेताओं के ‘रूख’ से अधिक ‘‘जमीन पर लोग’’ होंगे जो उन्हें भारत बचाने के लिए ‘आगे’ बढ़ाएंगे और उन्हें साथ लाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन करने वाले अभिनेता रजनीकांत के बयान पर प्रक्रिया जताते हुए येचुरी ने दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 2004 और उनके बाद प्रधानमंत्री बने मनमोहन सिंह की 2014 में पराजय का उल्लेख किया।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा भाजपा विरोधी मोर्चा बनाने के प्रयासों और यह पूछे जाने पर कि क्या एक ‘महागठबंधन’ एक वास्तविकता बनेगा, उन्होंने कहा, ‘‘यह होगा।’’
उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल इस उद्देश्य के लिए अपने मतभेद दूर करने में सफल होंगे। उन्होंने कहा, ‘‘नेताओं के रूख से अधिक, जमीन पर लोग होंगे जो उन्हें भारत को बचाने के लिए एकसाथ आने के लिए आगे बढ़ाएंगे। और यह होगा।’’
उन्होंने कहा कि माकपा ने आगामी चुनाव के लिए तमिलनाडु में द्रमुक मोर्चे का हिस्सा होने का निर्णय किया है, वह संभवत: अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव की ओर इशारा कर रहे थे।
यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी पार्टी उस गठबंधन का हिस्सा बनेगी जिसमें तृणमूल कांग्रेस या कांग्रेस होंगी, येचुरी ने कहा कि ‘‘भारत में गठबंधन हमेशा प्राथमिक रूप से पहले राज्य स्तर पर हुए हैं और हमेशा होंगे।’’
रजनीकांत के इस बयान पर कि मोदी चुनावी रूप से मजबूत हैं, येचुरी ने 2004 और 2014 के लोकसभा चुनावों के परिणामों को याद किया। हालांकि यह भी कहा कि वह अभिनेता की फिल्मों के प्रशंसक हैं।