बिहार चुनाव से छह महीने पहले सीटों का बंटवारा चाहती है कि कांग्रेस, जाने क्या मिला जवाब

By Team MyNation  |  First Published Dec 30, 2019, 7:38 AM IST

महाराष्ट्र और झारखंड मे सरकार बनाने के बाद कांग्रेस गदगद है। यही नहीं झारखंड का प्रयोग वह बिहार में करना चाहती है। लिहाजा वह अपने सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल से चुनाव से पहले सीटों का बंटवारा चाहती  है। कांग्रेस को लग रहा है कि जिस तरह का प्रयोग झारखंड में सफल रहा और कांग्रेस, राजद और जेएमएम के गठबंधन जीत हासिल की है, इसी तरह की गठबंधन से वह  बिहार में भाजपा और जदयू गठबंधन को मात दे सकती है।

पटना। बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस छह महीने पहले ही सीटों का बंटवारा चाहती है। ताकि मजबूती से चुनाव लड़ा जा सके। हालांकि राष्ट्रीय जनता  दल सीटों के बंटवारे से पहले महागठबंधन को आकार देना चाहती है। जिसके तहत सीटों का बंटवारा हो। हालांकि बिहार में कांग्रेस राजद की अगुवाई में ही चुनाव लड़ेगी।

महाराष्ट्र और झारखंड मे सरकार बनाने के बाद कांग्रेस गदगद है। यही नहीं झारखंड का प्रयोग वह बिहार में करना चाहती है। लिहाजा वह अपने सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल से चुनाव से पहले सीटों का बंटवारा चाहती  है। कांग्रेस को लग रहा है कि जिस तरह का प्रयोग झारखंड में सफल रहा और कांग्रेस, राजद और जेएमएम के गठबंधन जीत हासिल की है, इसी तरह की गठबंधन से वह  बिहार में भाजपा और जदयू गठबंधन को मात दे सकती है।

लिहाजा कांग्रेस ने राजद से विधानसभा चुनाव से करीब 6 महीने पहले सीटों के बंटवारे के बारे में फैसला करने को कहा है। क्योंकि लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर दोनों दलों के बीच आखिरी समय तक खींचतान चली थी और जिसके कारण महागठबंधन को महज एक ही सीट  मिली थी। लिहाजा कांग्रेस इस तरह की किसी भी स्थिति से विधानसभा चुनाव में बचना चाहती है। राजद की अगुवाई में बिहार में लोकसभा चुनाव में महागठबंधन बना था। जिसमें कांग्रेस और राजद के साथ ही राज्य के छोटे दल शामिल थे। लेकिन उसके बावजूद महागठबंधन के खाते में महज एक सीट आई थी।

कांग्रेस का ये भी कहना है कि पहले ये भी तय हो जाए कि कौन कौन राजनैतिक दल महागठबंधन में शामिल होंगे। गौरतलब है कि पिछले दिनों ही जीतन राम मांझी की पार्टी ने महागठबंधन से किनारा कर लिया था। लेकिन रविवार को वह रांची में हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे। जबकि उनकी पार्टी की ओवैसी की पार्टी के साथ गठबंधन करने की चर्चा था और उन्हें किशनगंज में रैली में शामिल होना था। लेकिन भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए वह रांची गए।
 

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