चीन की तर्ज पर दिल्ली में भी लगेंगे स्मॉग टावर, जानिए कैसे मिलेगी आपको ताजी हवा

By Team MyNation  |  First Published Oct 20, 2020, 8:05 AM IST

असल में चीन की सरकार वायु प्रदूषण को देखते हुए झियान शहर में 330 फीट ऊंचा टावर स्थापित किया है।  वहीं जानकारी के मुताबिक प्रदूषण के मामले में गंभीर हो चुके चीन के हालतों में पिछले सात-आठ सालों में इसपर काफी हद तक काबू पा लिया।

नई दिल्ली। मौसम वैज्ञानिकों का दावा है कि इस साल भी दिल्ली में सर्दियां आते ही वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक हो जाएएगा। लिहाजा दिल्ली की आम आदमी सरकार चीन के तर्ज पर कनॉट प्लेस पर एक स्मॉग टावर लगाने की योजना पर काम कर रही है। इस योजना के लिए सरकार 20 करोड़ खर्च करेगी और इसका निर्माण चीन के स्मॉग टावर की तर्ज पर होगा। 

असल में चीन की सरकार वायु प्रदूषण को देखते हुए झियान शहर में 330 फीट ऊंचा टावर स्थापित किया है।  वहीं जानकारी के मुताबिक प्रदूषण के मामले में गंभीर हो चुके चीन के हालतों में पिछले सात-आठ सालों में इसपर काफी हद तक काबू पा लिया।  इसके पीछे स्मॉग टावर की भूमिका मानी जा रही है। वहीं भारत में भी प्रदूषण के कारण स्थिति खराब है और राजधानी दिल्ली की स्थिति इस मामले में और भी ज्यादा घातक है।

राज्य में सर्दियों के आते ही प्रदूषण अपने सभी रिकार्ड तोड़ देता है और लोगों का सांस लेना भी दूभर हो जाता है। पहलेचीन के बड़े शहर धुंध की चादर में लिपटे रहते थे और हर व्‍यक्ति मास्‍क पहनकर रहता था। वहीं प्रदूषण के स्तर को देखते हुए स्‍कूल-कॉलेज, सरकारी संस्‍थान बंद कर दिए जाते थे। लेकिन चीन की सरकार ने वायु प्रदूषण के खिलाफ 2013 में जंग छेड़ी और स्मॉग टावर की मदद से 8 सालों में इसका स्तर काफी घटा दिया है।  जानकारी के मुताबिक चीन के झियान शहर में बना ये टावर 330 फीट ऊंचा है और ये हवा को साफ करता है और प्रदूषण को कम  करता है। बताया जाता है कि ये रोज एक करोड़ घनमीटर हवा को साफ करता है।वहीं स्मॉग टावर के लगाए जाने के बाद चीन के इस शहर की साफ हवा की स्थिति में बहुत सुधार हुआ है।

वहीं पहले शहर का हर शख्स हवा में 21 सिगरेट के बराबर रोजाना विषैले तत्व को पी रहा था। लेकिन अब हवा में सुधार होने कारण लोगों को लाभ  हो रहा है। वैज्ञानिकों का दावा है कि स्मॉग टावर दस किलोमीटर के रेंज की हवा को साफ रखता है और ये हवा को साफ करने के साथ ही स्मॉग टावर 15 से 20 प्रतिशत तक कम करता है।  हालांकि इससे पहले भी दिल्ली में भी पायलट प्रोजेक्ट की तरह स्मॉग टावर  की कोशिश की जा चुकी है। लेकिन उस वक्त ये तकनीक फेल हो गई। क्योंकि उस वक्त फिल्टर से काम करना बंद कर दिया था। 
 

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