....तो क्या टूटा जाएगा आजम खां के ड्रीम प्रोजेक्ट जौहर विश्वविद्यालय का 'सपना'

By Team MyNation  |  First Published Feb 17, 2020, 6:57 AM IST

सपा सांसद आजम खां किसी दौर में रामपुर में किसी सुल्तान से कम नहीं थे। रामपुर में उनके आदेश पर कोई काम नहीं होता था। लेकिन आज आजम खान का  ड्रीम प्रोजेक्ट मुश्किल में है और आजम खान उसे बचाने के लिए कोर्ट का चक्कर काट रहे हैं। असल में आजम खान ने रामपुर में जौहर ट्रस्ट की स्थापना की। इस ट्रस्ट को उन्होंने चैरिटी ट्रस्ट के जरिए पंजीकरण कराया और इसकी आड़ में उन्होंने जौहर विश्वविद्यालय की नींव रखी। 

रामपुर। अगर ऐसा ही चलता रहा तो रामपुर के समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान का ड्रीम प्रोजेक्ट जौहर विश्वविद्यालय खत्म हो जाएगा। क्योंकि जो बात अभी तक सामने  आ रही है कि पिछले दस साल के दौरान आजम खान के जौहर ट्रस्ट ने कोई भी लोकहित का काम नहीं किया है। लिहाजा इस ट्रस्ट की मान्यता खत्म हो सकती है। क्योंकि चैरिटी ट्रस्ट को लोकहित के काम करने होते हैं। वहीं आजम खान ने चैरिटी तो नहीं की, लेकिन किसानों की जमीनों पर ताकत के बल पर कब्जा जरूर किया। लिहाजा रामपुर जिला प्रशासन इन जमीनों को किसानों को वापस दे रहा है।

सपा सांसद आजम खां किसी दौर में रामपुर में किसी सुल्तान से कम नहीं थे। रामपुर में उनके आदेश पर कोई काम नहीं होता था। लेकिन आज आजम खान का  ड्रीम प्रोजेक्ट मुश्किल में है और आजम खान उसे बचाने के लिए कोर्ट का चक्कर काट रहे हैं। असल में आजम खान ने रामपुर में जौहर ट्रस्ट की स्थापना की। इस ट्रस्ट को उन्होंने चैरिटी ट्रस्ट के जरिए पंजीकरण कराया और इसकी आड़ में उन्होंने जौहर विश्वविद्यालय की नींव रखी। लेकिन जो जानकारी सामने आ रही है।

उसके मुताबिक पिछले दस साल में आजम खान के ट्रस्ट ने कोई भी लोकहित का काम नहीं किया जबकि इस ट्रस्ट की आड़ में उन्होंने सरकार से कई तरह की छूट ली। यही नहीं जौहर यूनिवर्सिटी के लिए जो करीब 160 एकड़ जमीन उन्होंने सरकार से ली उस पर उन्होंने रजिस्ट्री भी नहीं दी। लिहाजा अब माना जा रहा है कि राज्य सरकार अब जौहर यूनिवर्सिटी की इस जमीन को वापस ले सकता है। क्योंकि आजम खान ने इस जमीन का इस्तेमाल लोकहित के बजाय व्यावसायिक तौर पर किया।

फिलहाल अब रामपुर जिला प्रशासन इसके लिए जौहर ट्रस्ट को नोटिस देने की तैयारी में है। हालांकि इससे पहले रामपुर जिला प्रशासन कई बीघा जमीन जौहर यूनिवर्सिटी से लेकर किसानों को वापस कर चुका है। जानकारी  के मुताबिक जमीन लेते वक्त शासन ने इस शर्त पर स्टांप शुल्क माफ किया था। लेकिन इसके लिए शर्त  थी कि आजम खान ट्रस्ट की जमीन का इस्तेमाल लोकहित में करेगा। लेकिन ट्रस्ट ने पिछले दस सालों के दौरान कोई भी लोकहित का काम नहीं किया।

लिहाजा इसी आधार पर ट्रस्ट से 160 एकड़ जमीन वापस लेने की तैयारी चल रही है। गौरतलब है कि पिछले दिनों ही चुना्व आयोग ने आजम खान औऐर  उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान को बड़ा झटका दिया है। आयोग ने यूपी विधानसभा से अब्दुल्ला आजम खान से वेतन और भत्तों की वसूली करने को कहा है।
 

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