असल में यूपी में कांग्रेस में ये उठापटक नए प्रदेश अध्यक्ष के ऐलान के साथ ही शुरू हो गई थी। प्रियंका गांधी ने अपने करीबी माने जाने वाले विधानसभा में संसदीय दल के नेता अजय कुमार लल्लू को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी तो दिग्गज और वरिष्ठ नेताओं को लगने लगा कि उन्हें तवज्जो नहीं दी गई है। करीब 5 सौ से ज्यादा कार्यकारिणी को प्रियंका गांधी ने 40 में सिमटा दिया और अपने कई सलाहकारों को नियुक्त कर गुटबाजी को खत्म करने की कोशिश की थी।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बेपटरी हो चुकी कांग्रेस पार्टी को सुधारने की प्रियंका गांधी वाड्रा की कवायद पार्टी को नेताओं को रास नहीं आई है। अब पार्टी में ही कांग्रेस की महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा का विरोध शुरु हो गया है। क्योंकि प्रियंका गांधी ने उन नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है, जो पार्टी के बड़े नेता और पुराने समर्थक माने जाते थे। फिलहाल सोनिया गांधी उत्तर प्रदेश में चल रहे उस उठापटक को लेकर खामोश हैं।
असल में यूपी में कांग्रेस में ये उठापटक नए प्रदेश अध्यक्ष के ऐलान के साथ ही शुरू हो गई थी। प्रियंका गांधी ने अपने करीबी माने जाने वाले विधानसभा में संसदीय दल के नेता अजय कुमार लल्लू को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी तो दिग्गज और वरिष्ठ नेताओं को लगने लगा कि उन्हें तवज्जो नहीं दी गई है। करीब 5 सौ से ज्यादा कार्यकारिणी को प्रियंका गांधी ने 40 में सिमटा दिया और अपने कई सलाहकारों को नियुक्त कर गुटबाजी को खत्म करने की कोशिश की थी।
लेकिन दिग्गज नेताओं ने इसका विरोध किया और पार्टी के प्रदेश नेतृत्व पर अपने करीबियों को तवज्जो देने का आरोप लगाया। इसके लिए पुराने नेताओं ने सोनिया गांधी से शिकायत भी की। लेकिन इसका खामियाजा इन्हीं नेताओं को उठाना पड़ा और प्रियंका गांधी की अनुमति के बाद इन्हें बाहर का रास्ता दिखा गया। फिलहाल इन नेताओं का कहना है कि पैसे के बलबूते टिकट पाने वाले नेता प्रदेश नेतृत्व में बैठ गए हैं। जबकि किसी दौर में इस पद पर पुरुषोत्तम दास टंडन और गणेश शंकर विद्यार्थी जैसे आदर्श नेता बैठा करते थे।
हालांकि पार्टी से बाहर किए गए दस नेता कांग्रेस में कई साल से हैं और किसी भी परिस्थिति में इन नेताओं ने पार्टी का दामन नहीं छोड़ा है। इन नेताओं ने प्रदेश नेतृत्व के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि अनुशासन के मामलों में सहमति या असहमति जताने का अधिकार महासचिव प्रियंका वाड्रा को भी नहीं है। लिहाजा उनका पार्टी से निष्कासन पूरी तरह से असंवैधानिक है। गौरतलब है कि प्रियंका गांधी ने यूपी में कांग्रेस को मजबूत करने की जिम्मेदारी अपने हाथों में ली है।
जिसके कारण प्रियंका ने अन्य राज्यों में हुए और होने वाले चुनावों से दूरी बनाकर रखी है। ताकि प्रदेश में 2022 के लिए संगठन को खड़ा किया जा सके। पार्टी ने इसके लिए युवा नेतृत्व को जिम्मेदारी देने का फैसला किया है। जिसका विरोध पार्टी के भीतर हो रहा है।