असल में अब सपा की राज्यसभा में ताकत और कम हो जाएगी। क्योंकि भाजपा ने संजय सेठ और सुरेंद्र नागर को बनाया राज्यसभा उम्मीदवार घोषित किया है। ये सपा के लिए बड़ा झटका है। ये दोनों सीटें भाजपा के खाते में आ जाएंगी और ऐसे में राज्यसभा में जहां भाजपा की ताकत बढ़ जाएगी वहीं सपा की ताकत कम होगी।
लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी ने समाजवादी पार्टी को राज्यसभा में एक बार फिर बड़ा झटका दिया। सपा छोड़कर भाजपा में आए सपा के दो पूर्व राज्यसभा सांसदों को भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है। इन दोनों ने पिछले दिनों सपा से इस्तीफा दे दिया था। सपा को तब एक बड़ा झटका तब लगा था जब पार्टी के कोषाध्यक्ष संजय सेठ ने सपा से इस्तीफा देकर राज्यसभा से भी इस्तीफा दे दिया था।
असल में अब सपा की राज्यसभा में ताकत और कम हो जाएगी। क्योंकि भाजपा ने संजय सेठ और सुरेंद्र नागर को बनाया राज्यसभा उम्मीदवार घोषित किया है। ये सपा के लिए बड़ा झटका है। ये दोनों सीटें भाजपा के खाते में आ जाएंगी और ऐसे में राज्यसभा में जहां भाजपा की ताकत बढ़ जाएगी वहीं सपा की ताकत कम होगी।
ये दोनों नेता सपा को छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। संजय सेठ कारोबारी हैं और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के करीबी माने जाते थे। सपा ने संजय सेठ को एक बार यूपी विधान परिषद में भेजने का फैसला किया था। जिस पर गवर्नर राम नाईक ने सवाल उठा दिए थे। जिसके बाद संजय सेठ को राज्यसभा में भेजा गया था और उन्हें पार्टी का कोषाध्यक्ष भी नियुक्त किया गया था।
संजय सेठ ने ही यूपी विधानसभा चुनाव से पहले सपा और बसपा के बीच गठबंधन बनाने की पहल की थी। लेकिन विधानसभा चुनाव के बाद बसपा ने सपा से गठबंधन तोड़ लिया और संजय सेठ ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। इससे पहले नीरज शेखऱ पार्टी से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो चुके और इसके बाद भाजपा ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया है।
माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में सपा के दो सांसद और पार्टी से किनारा कर सकते हैं। क्योंकि सपा के पास राज्य में महज एक सांसद को राज्यसभा में भेजने की क्षमता है। ऐसे में आने वाले समय में सपा महासचिव रामगोपाल यादवा का भी कार्यकाल खत्म होने वाला है।
लिहाजा जिन सांसदों का अगले साल राज्यसभा का कार्यकाल खत्म होगा। उन्हें दोबारा राज्यसभा में भेजे जाने की उम्मीद कम है। वहीं सुरेंद्र सिंह नागर समाजवादी पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं और वह दो बार सांसद रह चुके हैं। हालांकि इससे पहले नागर बसपा में भी रह चुके हैं।