लोकसभा चुनाव-रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह...उधर स्वामी प्रसाद मौर्या ने कहा-हिंदू एक धोखा, क्या होगा असर?

By Rajkumar UpadhyayaFirst Published Dec 26, 2023, 11:28 AM IST
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स्वामी प्रसाद मौर्या का बयान ऐसे समय में आया है। जब एक तरफ यूपी में लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियां चल रही हैं। दूसरी ओर सपा मुखिया उनके द्वारा हिंदू धर्म पर उगले जा रहे जहर पर लगाम लगाने की बात कर रहे थे। इधर, अयोध्या में 500 वर्षों के बाद रामलला मंदिर में विराजमान होंगे।

लखनऊ। सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्या के बोल एक बार फिर बिगड़े हैं। उन्होंने आरएसएस और बीजेपी नेताओं के बयानों को आधार बनाते हुए हिंदू धर्म को धोखा करार दिया है। दिल्ली में आयोजित एक प्रोग्राम में मौर्या ने कहा कि हिंदू एक धोखा है। साल 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा था कि हिंदू कोई धर्म नहीं, बस जीवन जीने की शैली है। आरएएस चीफ मोहन भागवत भी कह चुके हैं कि हिंदू किसी धर्म का नाम नहीं। बस जीवन जीने की एक कला है। पीएम नरेंद्र मोदी के भी इसी तरह के बयान आ चुके हैं। इन बयानों पर किसी की भी भावनाएं आहत नहीं होती। पर यदि स्वामी प्रसाद मौर्या कह दे तो बवाल मच जाता है।

स्वामी प्रसाद मौर्या के बयान के निकाले जा रहे मायने

स्वामी प्रसाद मौर्या का बयान ऐसे समय में आया है। जब एक तरफ यूपी में लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियां चल रही हैं। दूसरी ओर सपा मुखिया उनके द्वारा हिंदू धर्म पर उगले जा रहे जहर पर लगाम लगाने की बात कर रहे थे। इधर, अयोध्या में 500 वर्षों के बाद रामलला मंदिर में विराजमान होंगे। अयोध्या में आने वाली 22 जनवरी को भव्य समारोह का आयोजन किया गया है। देश ही नहीं ​दुनिया भर से श्रद्धालु राम मंंदिर के लिए अलग अलग तरह के सामान भेज रहे हैं। जिस तरह भगवान श्रीराम लंका विजय के बाद अयोध्या आए थे तो दीवाली मनाई गई थी। उसी तरह 22 जनवरी को देश भर में दीवाली मनाने की तैयारी है। ऐस में स्वामी प्रसाद मौर्या के हिंदू धर्म पर उगले जा रहे जहर के मायने निकाले जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि मौर्या ने यह बयान बीते 25 दिसम्बर को दिया है।

पार्टी के अंदर 'तू-तू, मैं-मैं' की नौबत
 
स्वामी प्रसाद मौर्या का रामचरित मानस पर विवादित बयान आने के बाद समाजवादी पार्टी के अंदरखाने से ही उनके खिलाफ आवाज उठ रही है। उनका विरोध करने वाली दो महिला नेताओं रोली मिश्रा तिवारी और ऋचा सिंह को पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया। हालांकि उस समय अखिलेश यादव ने नेताओं के बयानों पर रोक लगाई। पर अब अखिलेश के सामने यह मुद्दा बड़ा आकार ले रहा है। पार्टी के अंदर ही 'तू-तू, मैं-मैं' की नौबत बनती दिख रही है।

मौर्या के बहाने अखिलेश पर हमलावर सत्ताधारी दल

अखिलेश यादव PDA यानी पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक वोट बैंक को एकजुट करने की मुहीम में लगे हैं। राजपूत और ब्राह्मण समाज के सम्मेलन कर सामान्य वर्ग को भी साधने की कोशिश कर रहे हैं। उधर, स्वामी प्रसाद मौर्या के बयानों को लेकर सत्ताधारी दल बीजेपी के नेता हमलावर हैं और मौर्या को सिर्फ मुखौट बता रहे हैं। 

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