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जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के जड़ से खात्मे के लिए आईबी,सीबीआई,एनआईए और सीबीडीटी की विशेष टीम गठित

Siddhartha Rai |  
Published : Mar 29, 2019, 11:36 PM ISTUpdated : Mar 30, 2019, 05:12 PM IST
जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के जड़ से खात्मे के लिए आईबी,सीबीआई,एनआईए और सीबीडीटी की विशेष टीम गठित

सार

केन्द्रीय एजेन्सियों के चुने हुए अधिकारियों का यह जांच दल सरकारी अधिकारियों और शिक्षकों में से आतंकियों से सहानुभूति रखने वालों की पहचान करने के साथ साथ आतंकियों के लिए फंड जुटाने वाले नेटवर्क को भी तबाह कर देगा।   

नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ युद्ध अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। शुक्रवार को केन्द्र सरकार ने एक ‘टेरर मॉनिटरिंग ग्रुप’ यानी टीएमजी का गठन किया है। यह ग्रुप कई स्तरों पर आतंकवाद की जड़ें खोदेगा।  

इसमें सीबीआई, एनआईए और सीबीडीटी के अधिकारी शामिल होंगे। इस ग्रुप का काम आम कश्मीरियों में से आतंकियों के लिए फंडिंग करने वालों की पहचान करेगा। चाहे वह सरकारी अधिकारी हों या फिर शिक्षक। 

इस आठ सदस्यों वाली टीम की अध्यक्षता जम्मू कश्मीर के पुलिस उपमहानिदेशक करेंगे। इस टीम में जम्मू कश्मीर के एक पुलिस महानिरीक्षक, राज्य आईबी शाखा के अतिरिक्त निदेशक के साथ केन्द्रीय जांच ब्यूरो, राष्ट्रीय जांच एजेन्सी और केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड और सीबीआईसी के प्रतिनिधि शामिल रहेंगे।
 
केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने अपने आदेश में कहा है कि इस टीम का गठन आतंकियों के फंडिंग नेटवर्क के खिलाफ चल रही कार्रवाईयों को एकजुट करेगी और दूसरी आतंकवाद संबंधित गतिविधियों पर रोक लगाएगी। 

टीएमजी, टेरर मॉनिटरिंग ग्रुप को आतंकवाद के सभी जाने अनजाने चेहरों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए स्पष्ट अधिकार सौंपे गए हैं।  

टीएमजी के कार्य:

1. यह टीम अभी तक दर्ज की गई सभी आतंकवादी, आतंकवाद की फंडिंग और आतंकवाद संबंधित घटनाओं पर कार्रवाई करेगा और उन्हें अंजाम तक पहुंचाने की कोशिश करेगा। 

2. आतंकी समर्थकों की पहचान करना। जिसमें विभिन्न संगठनों के नेता भी शामिल हैं, जो लोग आतंकवाद के समर्थन में आवाज उठाते हैं। चाहे वह किसी भी रुप में हो। 

3. आतंकवाद की फंडिंग से संबंधित सभी चैनलों की जांच करना और उन्हें खत्म करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करना। 

4. यह टीम उन लोगों की भी पहचान करेगा जो आतंकवाद के प्रबल समर्थक के रुप में जाने जाते हैं। चाहे उसमें सरकारी अधिकारी हों या फिर शिक्षक, जो कि खुले या छिपे तौर पर आतकवाद का समर्थन करने के लिए जाने जाते रहे हों। 
 

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