कोरोना संकट के बीच सख्त प्रशासक और बेहतर प्रबंधन से खुद की नई छवि गढ़ रहे हैं 'योगी'

By Harish Tiwari  |  First Published May 12, 2020, 2:45 PM IST

अगर आपसे पूछे भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कैप्टन महेन्द्र सिंह धोनी और योगी आदित्यनाथ में क्या समानताएं हैं। तो आपको बताते हैं कि दोनों विपरित परिस्थितियों से जूझकर आगे बढ़े। जिस तरह से धोनी ने धीरे-धीरे को विकसित किया और फिर वह एक महान क्रिकेट के तौर भारत ही नहीं दुनिया के सफलतम कप्तान बनें और उनके विरोधियों ने भी उनकी क्षमताओं का लोहा माना. वैसे ही योगी भी विपरीत परिस्थितियों को जीतकर आगे बढ़ रहे हैं। कभी विरोधी उनकी प्रशासनिक क्षमताओं पर सवाल उठाते थे और आज वहीं उनके फैसलों को लेकर कायल हैं।  राजनीति में उनकी विरोधी प्रियंका गांधी वाड्रा और बसपा प्रमुख उनके फैसलों पर बधाई दे रही हैं। वहीं अगर ये कहें कि कोरोना संकटकाल में उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ एक मिशाल बने हैं तो ये कहना गलत न होगा। जब देश और दुनिया कोरोना से त्राही-त्राही कर रही है। वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी सरकार ने बेहतर रणनीति और प्रबंधन से कोरोना के प्रसार में नियंत्रण रखा है। कोरोना संकट में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की एक कुशल प्रशासक के साथ ही एक बेहतर प्रबंधक की छवि उभर कर आयी।

लखनऊ। देश में  कोरोना संकट जारी है। देश में लगातार कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। वहीं कम संसाधन और ज्यादा आबादी के बावजूद उत्तर प्रदेश में कोरोना की रफ्तार अन्य राज्यों की तुलना में कम है। जबकि तब्लीगी जमात के लोग कोरोना फैला रहे और दूसरे राज्यों से प्रवासी लगातार आ रहे हैं। अगर ये कहें कि कोरोना संकटकाल में उत्तर प्रदेश एक मिशाल बना है तो ये कहना गलत न होगा। जब देश और दुनिया कोरोना से त्राही-त्राही कर रही है। वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी सरकार ने बेहतर रणनीति और प्रबंधन से कोरोना के प्रसार में नियंत्रण रखा है। कोरोना संकट में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की एक कुशल प्रशासक के साथ ही एक बेहतर प्रबंधक की छवि उभर कर आयी। राजनैतिक तौर पर जो विपक्षी योगी आदित्यनाथ की क्षमताओं पर सवाल खड़ा करते थे। अब भले ही वह अपनी राजनैतिक मजबूरियों के कारण उनकी खुलकर तारीफ न करें, लेकिन अब उनकी प्रशासनिक और प्रबंधकीय क्षमताओं का लोहा मान रहे हैं।  

उत्तर प्रदेश ने जिस तरह राज्य में बड़ी आबादी होने के बाद भी कोरोना के संक्रमण को फैलाने से रोका है। यह अन्य राज्यों के लिए एक बड़ी मिशाल है। राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार ने भीलवाड़ा मॉडल की जमकर तारीफ की। लेकिन हकीकत ये है कि राजस्थान का ये मॉडल भीलवाड़ा को छोड़कर राज्य के किसी अन्य जिले में सफल नहीं हुआ। आज राजस्थान कोरोना संक्रमितों के मामले में उत्तर प्रदेश से काफी आगे है। वहीं योगी सरकार का हॉटस्पाट मॉडल राज्य ही देश में सफल मॉडल बना। जिसके बाद अन्य राज्यों ने इसे अपनाया और पीएम मोदी ने भी योगी सरकार के इस मॉडल की जमकर तारीफ की। राज्य में कोरोना संक्रमण को रोकने में अगर किसी की रणनीति सबसे कारगर रही तो वह उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ की है। जिनकी सख्ती के कारण राज्य में कोरोना ज्यादा नहीं फैला है। जबकि संसाधन और धन के मामले में जो राज्य यूपी से आगे हैं और वह उसके मुखिया कोरोना के सामने पस्त दिख रहे हैं। अगर बात करें तो यूपी में चालीस फीसदी मामले तब्लीगी जमात के हैं और अगर योगी आदित्यनाथ सख्ती न करते तो राज्य में मामले कई गुना बड़ सकते थे।

 

योगी जैसी सख्ती नहीं दिखी अन्य मुख्यमंत्रियों में  

अगर अन्य राज्यों की बात कहें तो यूपी में योगी आदित्यनाथ ने कोरोना फैलाने वालों के खिलाफ जो सख्ती दिखाई। जबकि अन्य राज्यों के सीएम और नेता राजनीति हितों के चलते चुप रहे हैं। दिल्ली सरकार के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने तब्लीगी जमात के लोगों को क्लीन चिट दे दी। जबकि देश के दक्षिणी राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने चुप्पी साधी रखी। जबकि योगी आदित्यनाथ ने केवल तब्लिगियों को मस्जिदों और घरों से बाहर निकाला बल्कि उन्हें जेल भी भेजा। वहीं दक्षिणी राज्यों में कोरोना के मामले तब्लीगियों के कारण बढ़े और राज्य सरकार उनके खिलाफ कार्यवाही  नहीं कर सकी। चाहे तेलंगाना हो या फिर तमिलनाडु शुरूआती दौर में इन राज्यों में मामले काफी कम थे। लेकिन जैसे ही तब्लीगी जमात के लोग दिल्ली से वहां पहुंचे तो मामले इन राज्यों में सबसे ज्यादा आए। वहीं राजस्थान में कांग्रेस सरकार ने तब्लीगी जमात के लोगों का नाम फार्म से हटा दिया था।  ताकि उनकी पहचान न हो सके। वहीं दिल्ली में चालीस फीसदी से ज्यादा मामले तब्लीगी जमात से जुड़े हुए हैं। 

 

योगी सरकार ने कोरोना योद्धाओं को किया सेफगार्ड

प्रदेश के मुख्यमंत्री  योगी आदित्यनाथ ने कोरोना से लड़ रहे कोरोना योद्धाओं की सुरक्षा के लिए राज्य में सालों पुराने कानून में बदलाव किया। ताकि कोरोना योद्धाओं से मारपीट और बदसलूकी करने वालों को सजा मिल सके। राज्य सरकार ने कोरोना योद्धाओं पर हमला करने वाले और थूकने वालों के लिए सात साल सजा और पांच लाख तक का जुर्माना का कानून बनाया है।  क्योंकि अभी तक कमजोर कानून होने के कारण इन मारपीट करने वालों के खिलाफ कार्यवाही करना संभव  नहीं था। यही नहीं कोरोना योद्धाओं पर हमला करने वालों को जेल भेजा और उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत रिपोर्ट दर्ज की। जिसके बाद राज्य में कोरोना योद्धाओं पर हमल कम हुए। वहीं अन्य राज्यों में कोरोना योद्धाओं पर हमले जा रही हैं। इससे साथ ही योगी सरकार ने कोरोना योद्धाओं को संसाधन मसलन पीपीई किट, मास्ट सेनेटाइजर समेत अन्य जरूरी सामान मुहैया कराए। जबकि पंजाब और पश्चिम बंगाल में मेडिकल स्टॉफ इन जरूरी सामान की मांग कर रहे हैं और सरकार इन्हें ये उपलब्ध नहीं करा रही हैं।


 

सफल रहा योगी आदित्यनाथ का हॉटस्पाट मॉडल

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार का हॉटस्पाट मॉडल सफल रहा और उत्तर प्रदेश की देखादेखी में अन्य राज्यों ने भी इस मॉडल को अपनाया। इस मॉडल के जरिए राज्य में योगी सरकार ने कोरोना संक्रमण को फैलने से रोका। हॉटस्पाट बनाकर संक्रमितों को एक ही जगह पर रोका और बाहर निकलने पर प्रतिबंध लगाया। यही नहीं हॉटस्पाट में संक्रमित और अन्य लोगों को पूरी सुविधाएं मुहैया कराई ताकि वो लोग घरों से बाहर न निकले और संक्रमण न फैलाएं। इसके बाद इस मॉडल को अन्य राज्यों ने अपनाया और कोरोना को बढ़ने से रोका। इसी मॉडल को दिल्ली सरकार ने अपनाया।


कम संसाधनों के बावजूद नियंत्रण में है कोरोना का संक्रमण

अगर देश में संसाधन और धन की बात करें तो महाराष्ट्र सरकार के पास सबसे अधिक साधन उपलब्ध हैं और उसके बावजूद महाराष्ट्र अभी तक देश में कोरोना संक्रमण के मामले सबसे अव्वल है। वहीं राज्य के पास धन भी कम नहीं है। कारोबारी राजधानी होने के कारण राज्य में उद्योग जगत  के सभी बड़े नाम हैं। उसके बावजूद राज्य सरकार कोरोना का संक्रमण रोकने में विफल साबित हुई है। वहीं राज्य के सीएम उद्धव ठाकरे संसाधनों का रोना रो रहे हैं। जबकि पंजाब में कोरोना के मामले बढ़ने को लेकर कैप्टन अमरेन्द्र सिंह उद्धव ठाकरे पर आरोप लगा रहे हैं। जबकि दोनों राज्यों में कांग्रेस और  कांग्रेस समर्थित सरकार हैं। महाराष्ट्र सरकार ने केन्द्र सरकार से  कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए मदद मांगी है। 

 

प्रवासियों की वापसी पर सबसे पहले लिया फैसला

विभिन्न राज्यों में रह रहे प्रवासियों को राज्य में वापस लाने को लेकर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सबसे पहले फैसला किया। राज्य में अभी तक लाखों की संख्या में प्रवासी आ चुके हैं और उनके आने का सिलसिला जारी है। सरकार का दावा है कि अभी तक 3.5 लाख प्रवासी राज्य  में पहुंच चुके हैं।  हालांकि इस बीच परेशानी की बात ये है कि राज्य में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। लेकिन योगी सरकार प्रवासियों को राहत और सुविधाओं के साथ राज्य में वापस ला रही है। योगी सरकार राजस्थान के कोटा से हजारों की संख्या में वहां फंसे कोचिंग करने वाले छात्र  और छात्राओं को लेकर आई और उन्हें सुरक्षित उनके घर पहुंचाया गया। यही नहीं जब दिल्ली में सरकार में बैठे कुछ लोगों ने ये अफवाह उड़ा दी थी कि बार्डर पर यूपी सरकार प्रवासियों को ले जा रही तो योगी सरकार ने एक हजार से ज्यादा बसों को बार्डर में भेज कर प्रवासियों की सकुशल घर वापसी कराई। जबकि अन्य राज्यों ने प्रवासियों को ले जाने के लिए  हाथ खड़े कर दिए थे। योगी सरकार पहले प्रवासियों को उनके गांव के आसपास क्वारंटिन कर रही है और उसके बाद उन्हें घर जाने की अनुमति दे रहे हैं।

रोजगार बढ़ाने के लिए जुटी योगी सरकार

प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार 16  से 18 घंटे काम कर रहे हैं। सीएम  योगी के साथ ही उनकी टीम राज्य के विकास में जुटी है। कोरोना संकट में राज्य सरकार के सामने सबसे बड़ी समस्या बंद उद्योग को शुरू करना है और बेरोजगारों को रोजगार मुहैया कराना है। योगी सरकार ने विदेशों से निवेश के लिए अफसरों को लगाया है और अफसर इसके लिए कोशिश कर रहे हैं।

कई देशों के राजदूतों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिए बातचीत की गई है। वहीं योगी सरकार राज्य में सूक्ष्म और घरेलू उद्योग को पुरर्जीवित करने के लिए जुटी है। राज्य सरकार बैंकों के जरिए रोजगार के कर्ज उपलब्ध करा रही है और तैयार उत्पाद के लिए बाजार उपलब्ध कराने के लिए कंपनियों से बातचीत कर रही है। फिलहाल योगी सरकार एक लाख से ज्यादा रोजगार सृजन करने में जुटी है।

अन्य राज्यों में फँसे यूपी के कुछ मजदूरों को वापस लाने की पहल पर उप्र सरकार को साधुवाद। हम लगातार इस मुद्दे पर ज़ोर दे रहे हैं और यह उस दिशा में एक सार्थक कदम है।

इसे पूरी तरह से सफल होने के लिए बाकी मजदूरों के लौटने के लिए भी योजना बनानी जरूरी है।

अगर इसी तरह सकारात्मक.. 1/2 https://t.co/k2skJaUbLR

— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi)

 

विरोधी भी हुए कायल

योगी आदित्यनाथ ने अपने फैसलों से अपने विरोधियों को भी कायल कर दिया है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा हमेशा से से योगी आदित्यनाथ के फैसलों का विरोध करती आई हैं। लेकिन योगी आदित्यनाथ के फैसलों और उनके कार्य के परिणामों को देखकर प्रियंका गांधी भी उनकी तारीफ करने को मजबूर हो गई हैं। पिछले दिनों प्रवासियों को वापस लाने को लेकर उन्होंने योगी आदित्यनाथ की तारीफ की। वहीं बसपा प्रमुख मायावती ने भी साफ कहा कि

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