सीजेआई यौन उत्पीड़न आरोप मामलाः उत्सव बैंस को 24 अप्रैल को कोर्ट में पेश होने का नोटिस

By Gopal KFirst Published Apr 23, 2019, 1:50 PM IST
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वकील उत्सव बैंस ने दावा किया था कि उन्हें एक अज्ञात व्यक्ति ने प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में चीफ जस्टिस गोगोई को फंसाने और सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी का प्रतिनिधित्व करने का ऑफर दिया था। 

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ कथित यौन उत्पीड़न के मामले में शीर्ष अदालत ने वकील उत्सव बैंस को नोटिस जारी कर 24 अप्रैल को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया है। वकील उत्सव बैंस का दावा था कि उन्हें एक अज्ञात व्यक्ति ने प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में चीफ जस्टिस गोगोई को फंसाने और सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी का प्रतिनिधित्व करने का ऑफर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को बैंस को सुरक्षा मुहैया कराने को कहा है।

बैंस ने यह भी दावा किया कि उसके बदले उन्हें 1.5 करोड़ रुपये देने का ऑफर दिया गया था। बैंस ने आरोप लगाया कि यह कुछ लोगों की साजिश थी, जो चाहते हैं कि मुख्य न्यायाधीश गोगोई इस्तीफा दे दें। उन्होंने कहा कि वह शीर्ष अदालत में अपने अनुभव को बयान करते हुए एक हलफनामा दायर करेंगे और कहा कि वह कथित रूप से शामिल लोगों का नाम भी देंगे। 

एक पूर्व कर्मचारी द्वारा सीजेआई पर यौन उत्पीड़न के आरोपों की खबर आने के तुरंत बाद बैंस ने एक फेसबुक पोस्ट लिखा था। उन्होंने कहा था कि उनसे संपर्क करने वाला व्यक्ति रिश्तेदार होने का दावा भी कर रहा था। लेकिन वह एक प्रशिक्षित एजेंट की तरह लग रहा था और उसने कभी भी संतोषजनक जवाब नहीं दिया।  

बैंस के मुताबिक, फिर अचानक उसने मुझे मेरी कानूनी फीस के रूप में 50 लाख की पेशकश की। उसने मुझे विशेष रूप से पीसीआई में एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित करने के लिए कहा तो मैंने मना कर दिया। क्योंकि मुझे कहानी के तथ्य गड़बड़ लगे और साथ ही कई खामियों के बारे में किसी भी सवाल का वह जवाब नहीं दे सका। बैंस ने दावा किया कि जब उन्होंने दिल्ली में विश्वसनीय स्रोतों से इस मुद्दे के बारे में अधिक पूछताछ की, तो हर जानकारी में न्यायमूर्ति को इस्तीफा देने के लिए मजबूर करने की एक बड़ी साजिश की ओर इशारा किया गया। 

शनिवार को इस मामले की सुनवाई के लिए स्पेशल बेंच बैठी थी। इसमें मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा था कि अब तक स्वतंत्र रही न्यायपालिका की आजादी को बाधित करने की कोशिश है। उन्होंने कहा, मैं इस देश के लोगों को कह देना चाहता हूं कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर बड़ा खतरा है। अगर इस तरह से जजों को टॉरगेट किया जाता रहेगा तो अच्छे लोग जज नहीं बनेंगे।
 

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