बिलकिस बानो केस में SC का 'सुप्रीम' फैसला, 11 दोषियों की रिहाई का आदेश किया रद्द

By Anshika Tiwari  |  First Published Jan 8, 2024, 11:26 AM IST

Bilkis Bano Rape Case: गुजरात के बिलकिस बानो सामूहिक दुष्कर्म केस में दोषियों के रिहाई मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया है जहां अदालत ने दोषियों की रिहाई का फैसला रद्द करते हुए याचिका की सुनवाई को योग्य माना है।
 

Bilkis Bano Rape Case:बिल्किस बानो रेप केस मामले में सर्वोच्च न्यायालय का सुप्रीम फैसला आया है> जहां अदालत ने दोषियों की रिहाई का फैसला रद्द करते हुए याचिका की सुनवाई को सुनने योग्य माना है। कोटी फैसले में कहां की महिला सम्मान की हकदार है‌।  बता दे, बिलकिस बानो मामला 2002 के गुजरात दंगों से जुड़ा हुआ है जहां बिलकिस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म कर उनके परिवार वालों की हत्या कर दी गई थी> गुजरात सरकार ने पिछले साल इस मामले के सभी 11 आरोपियों को छोड़ दिया था इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी अब कोर्ट ने इस पर फैसला सुनाया है।

सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रख लिया था फैसला

जस्टिस बी.वी.नागरत्ना और उज्जवल भुइयां की पीठ ने 11 दिन की सुनवाई के बाद दोषियों की सजा में छूट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 12 अक्टूबर 2023 को फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने पहली सुनवाई में गुजरात सरकार से कहा था कि राज्य सरकारों को दोषियों को सजा में छूट देने में चयनात्मक रवैया नहीं अपनाना चाहिए। वहीं इस मसले में बिलकिस बानों की याचिका के अलावा, माकपा नेता सुभाषिनी अली,टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा समेत कई लोगों ने दोषियों की सजा में छूट और समय से पहले रिहाई के खिलाफ शीर्ष अदालत में जनहित याचिका दायर की थी। 

क्या है बिलकिस बानो रेप केस ?

बिलकिस बानो रेप केस गुजरात दंगों से जुड़ा है। उस वक्त वह 21 साल की थीं और 5 महीने की गर्भवती थीं। सम्प्रादियक दंगों में उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ था और तीन साल की बेटी समेत परिवार के 7 लोगों की हत्या कर दी गई थी। पिछले साल 15 अगस्त के मौके पर रेप केस से आरोपियों को 11 दोषियों को सजा में छूट दिए जाने के बाद नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाएं दाखिल की थी। खुद बिलकिस बानो ने नवंबर में शीर्ष अदालत क रुख किया था। अदालत में दोषियों की दलील थी की वह पहले बहुत कुछ झेल चुके हैं और 14 साल से ज्यादा का वक्त जेल में बिता चुके हैं। दोषिया ने अनुरोध करते हुए कहा था कि  उन्हें परिवार के सदस्यों से मिलने की अनुमति दी जाए। साथ तर्क दिया था की अदालत को सुधारात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और उन्हें खुद को सुधारने का मौका दिया जाना चाहिए। 

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