एक याचिका की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने टिप्पणी करते हुए कहा कि बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने अपनी और हाथियों की मूर्तियां बनाने में जितना जनता का पैसा खर्च किया है, उसे वापस करना चाहिए। इस मामले की अगली सुनवाई 2 अप्रैल को होगी।
बसपा सुप्रीमो मायावती को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है।
सुप्रीम कोर्ट ने मायावती को मूर्तियों व स्मारक निर्माण मामले में कहा कि मेरा मानना है कि मूर्तियों पर खर्च पैसे मायावती को सरकारी कोष में जमा करना करना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया मूर्तियों, स्मारकों और पार्को पर खर्च हुए पब्लिक पैसा को मायावती को सरकारी कोष में जमा कर देना चाहिए।
कोर्ट इस मामले में 2 अप्रैल को अगली सुनवाई करेगा। गौरतलब है कि अभी हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय ने मायावती के शासन के दौरान बनाए गए स्मारकों के निर्माण में 111करोड़ रुपये की कथित अनियमितताओं के मामले में छापेमारी की है।
एजेंसी की माने तो 2014 की राज्य सतर्कता विभाग की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए इन मामलों की जांच के लिए धन शोधन निरोधक अधिनियम के तहत एक आपराधिक मामला दर्ज किया है।
सतर्कता विभाग ने शिकायत दंड प्रक्रिया संहिता और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया है। यह स्मारको के निर्माण में कथित वित्तीय अनियमितता से जुड़ा है जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के 2007 से 2012 के कार्यकाल के दौरान बसपा के संस्थापक कांशीराम और पार्टी के चुनाव चिन्ह हाथी की प्रतिमाएं भी शामिल है।
आरोप है कि इसके चलते सरकारी खजाने को 111,44,35066 रुपये का नुकसान हुआ और लोकसेवकों व निजी व्यक्तियों को अवैध फायदा हुआ। मायावती के नेतृत्व वाली सरकार ने लखनऊ, नोएडा और राज्य में कुछ अन्य जगहों पर 2600 करोड़ रुपये की लागत से स्मारक, मूर्तियों और पार्क बनवाए थे।