अमेरिका और तालिबान के बीच शांति वार्ता चल रही थी। लेकिन शनिवार को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एक बम विस्फोट हुआ और इसमें एक अमेरिकी सैनिक के साथ ही 12 लोगों की मौत हो गई। इस बम विस्फोट की जिम्मेदारी तालिबान ने ली थी। इसके बाद अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तालिबान से हो रही वार्ता को रद्द कर दिया।
नई दिल्ली। अफगानिस्तान में शांति बहाली को लेकर अमेरिका और तालिबान के बीच चल रही शांति वार्ता टूटने के बाद तालिबान ने अमेरिका को धमकी दी है। तालिबान का कहना है कि अब और अमेरिकियों को मारा जाएगा। काबूल में हुए एक बम विस्फोट के बाद अमेरिका ने तालिबान से वार्ता को रद्द कर दिया था। जिसके बाद पाकिस्तान ने धमकी दी है।
अमेरिका और तालिबान के बीच शांति वार्ता चल रही थी। लेकिन शनिवार को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एक बम विस्फोट हुआ और इसमें एक अमेरिकी सैनिक के साथ ही 12 लोगों की मौत हो गई। इस बम विस्फोट की जिम्मेदारी तालिबान ने ली थी। इसके बाद अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तालिबान से हो रही वार्ता को रद्द कर दिया।
हालांकि रविवार को ही अमेरिकी राष्ट्रपति की तालिबान के वार्ताकारों से मुलाकात होनी थी और इसके बाद उन्हें अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी से मिलना था। लेकिन इस बम विस्फोट के बाद ट्रंप ने आगे वार्ता करने का फैसला रद्द कर दिया। असल में पिछले कुछ दिनों से अफगानिस्तान में बम विस्फोट हो रहे हैं और इसमें अभी तक कई लोगों की मौत हो गई है।
लेकिन वार्ता के बीच वहां पर बम धमाकों को लेकर अमेरिकी प्रशासन नाराज है। इस वार्ता के तहत अमेरिकी को अफगानिस्तान ने अपने सैनिकों को वापस बुलाना था। जिसमें अगले बीस दिनों में चार हजार से ज्यादा सैनिक वापस अमेरिका चले जाते अभी अफगानिस्तान की सुरक्षा में करीब 14 हजार से ज्यादा सैनिक लगे हुए हैं।
अब तालिबान ने धमकी दी है वह अफगानिस्तान में अमेरिकी नागरिकों और सैनिकों पर हमला करेगा। क्योंकि तालिबान का कहना है कि अमेरिकी सेना तालिबान के ठिकानों पर बम बरसा रही है। रविवार को तालिबान की तरफ से बयान जारी किया गया, जिसमें अमेरिका को सीधी चेतावनी दी गई है।
तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा कि वार्ता रद्द करने का फैसला अमेरिका के लिए ये भारी पड़ने वाला है। क्योंकि इससे अमेरिका की छवि पर असर होगा और लोगों की जान जाएगी और शांति भंग होगी। गौरतलब है कि इसी महीने अफगानिस्तान में राष्ट्रपति का चुनाव भी होना है। जिसके कारण वहां पर तालिबान के हमले तेज होने की आशंका जताई जा रही है।