क्या टीपू केे बाद तेेजस्वी बनेंगे 'औरंगजेब'

By Team MyNation  |  First Published Aug 22, 2019, 8:09 AM IST

तेजस्वी पार्टी की कमान अपने हाथों में चाहते हैं। लिहाजा पिछले कई दिनों से उन्होंने इसी रणनीति के तहत पार्टी के कार्यक्रमों और बैठकों से दूरी बनाकर रखी है। यही नहीं लालू प्रसाद यादव परिवार में भी कई गुट बन गए हैं। जो तेजस्वी के खिलाफ अंदरूनी तौर पर मोर्चा खोले हुए हैं। वहीं अब ये सवाल उठ रहे हैं कि कि क्या तेजस्वी अखिलेश यादव और औरंगजेब की तरह बगावत कर पार्टी की कमान अपने हाथ में लेंगे। गौरतलब है कि औरंगजेब ने अपने पिता शाहजहां से बगावत कर सत्ता अपने हाथ में ले ली थी।

पटना। क्या बिहार के सबसे बड़े सियासी परिवार यादव परिवार में बगावत होने की तैयारी हो गई है। अगर कुछ हालिया उदाहरणों को देखें तो लगता है कि जिस तरह से उत्तर प्रदेश में मुलायम परिवार में बगावत हुई थी और अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष बने थे। शायद ऐसा ही कुछ राजद में भी होने वाला है।

तेजस्वी राष्ट्रीय जनता दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के लिए लालू प्रसाद यादव पर दबाव की रणनीति के तहत काम कर रहे हैं और इसके लिए उनके समर्थक खुलेतौर पर तेजस्वी का साथ दे रहे हैं। फिलहाल तेजस्वी पार्टी के कार्यक्रमों से दूरी बनाए हुए हैं और पार्टी अध्यक्ष बनने के लिए बिसात बिछा रहे हैं। वहीं अब ये सवाल उठ रहे हैं कि कि क्या तेजस्वी अखिलेश यादव और औरंगजेब की तरह बगावत कर पार्टी की कमान अपने हाथ में लेंगे। गौरतलब है कि औरंगजेब ने अपने पिता शाहजहां से बगावत कर सत्ता अपने हाथ में ले ली थी।

बिहार में राष्ट्रीय जनता दल में बगावत के आसार हैं। बिहार में मुख्य विपक्षी दल राजद में समाजवादी पार्टी की तरह आने वाले दिनों में बगावत हो सकती है। उत्तर प्रदेश में जिस तरह से अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह यादव को पार्टी के अध्यक्ष पद से हटाकर खुद पार्टी की कमान संभाल ली थी।

कुछ ऐसा ही आने वाले दिनों में बिहार में भी देखने को मिल सकता है। यूपी में अखिलेश ने मुलायम को किनारे कर उन्हें संरक्षक के पद पर नियुक्त किया था। इसके लिए पार्टी में अखिलेश के वफादारों ने उनका पूरा साथ दिया। लिहाजा राजद में भी कुछ इस तरह की सुगबुगाहट शुरू हो गई है।

पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव जेल में बंद हैं और फिलहाल रांची के रिम्स में इलाज करा रहे हैं। जबकि पार्टी के भीतर ही कई गुट बन गए हैं। तेजस्वी पार्टी की कमान अपने हाथों में चाहते हैं। लिहाजा पिछले कई दिनों से उन्होंने इसी रणनीति के तहत पार्टी के कार्यक्रमों और बैठकों से दूरी बनाकर रखी है। यही नहीं लालू प्रसाद यादव परिवार में भी कई गुट बन गए हैं।

जो तेजस्वी के खिलाफ अंदरूनी तौर पर मोर्चा खोले हुए हैं। तेजस्वी को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने के लिए उनके समर्थक भी खुलेतौर पर उनके पक्ष में बयान दे रहे हैं। ताकि इसके जरिए वह लालू पर दबाव बना सके।

पिछले करीब एक महीने से तेजस्वी एक तरह से गायब हैं और वह कहां हैं इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है। लेकिन मंगलवार देर रात ही वापस लौटे ही पार्टी का नेतृत्व पूरी तरह से उन्हें सौंपने की मांग उठने लगी है।  

मनेर से विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा कि हम तेजस्वी यादव के पार्टी पर पूर्ण नियंत्रण के पक्ष में हैं। यदि जरूरत पड़ी तो हम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर उनकी नियुक्ति के लिए एक प्रस्ताव भी लाएंगे। वहीं बोधगया से विधायक कुमार सर्वजीत भी तेजस्वी को राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान दिए जाने का समर्थन कर रहे हैं।

इसके साथ ही जमुई से विधायक विजय प्रकाश भी कहते हैं कि राज्य की जनता चाहती है कि तेजस्वी पार्टी का नेतृत्व करें। हालांकि इसका फैसला लालू को करना है। इस बारे में पार्टी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते है कि लालू जी के बिना राजद की कल्पना नहीं की जा सकती और उन्होंने ही तेजस्वी को अपना उत्तराधिकारी चुना है। 

पार्टी की स्थापना से ही लालू अध्यक्ष

लालू प्रसाद यादव पार्टी की स्थापना से ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। लालू ने 1997 में राजद की स्थापना की थी और उसके बाद से ही वह निर्विरोध पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। पार्टी के संविधान के मुताबिक  अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल के लिए होता है। फिलहाल तेजस्वी अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी की कमान अपने हाथों में लेना चाहते हैं। हालांकि पार्टी ने स्थापना दिवस के मौके पर उन्हें मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर दिया था।

पार्टी में हो सकती है बगावत

लालू को डर है कि अगर तेजस्वी को राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर दिया जाएगा तो पार्टी में बगावत हो जाएगी। पार्टी के ज्यादातर वरिष्ठ नेता तेजस्वी की कार्यप्रणाली को लेकर नाराज हैं। यहां तक कि लालू की बेटी मीसा भारती और बड़े भाई तेज प्रताप यादव भी तेजस्वी से नाराज हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान टिकट बंटवारे में तेजस्वी ने इन दोनों को कोई तवज्जो नहीं दी। जिसके बाद ये दोनों तेजस्वी से नाराज हैं। 

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