गौरतलब है कि राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को 40, कांग्रेस को 31, जजपा को 11 और निर्दलीयों को सात और इनेलो को दो सीटें मिली हैं। इस सात निर्दलीय विधायकों में छह तो भाजपा के ही बागी विधायक हैं। जिन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया था और इन्होंने बागी होकर चुनाव लड़ा था और पार्टी के प्रत्याशी को हराया था।
चंडीगढ़। हरियाणा में आखिरकार भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी की सरकार बन गई है। लेकिन गठबंधन की ये सरकार अभी तक पसोपेश में है। सरकार बनने के दो सप्ताह के बाद भी अभी तक राज्य में कैबिनेट का विस्तार नहीं हुआ है। जबकि माना जा रहा था कि दिवाली के बाद कैबिनेट का विस्तार हो जाएगा। वहीं निर्दलीय विधायक भी मंत्री के लिए अपनी अपनी दावेदारी कर रहे हैं।
राज्य में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत न मिलने पर भाजपा और जजपा ने मिलकर सरकार बनाई। जजपा प्रमुख दुष्यंत चौटाला को भाजपा की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री का पद दिया गया। जबकि गठबंधन की शर्तों के मुताबिक जजपा को दो कैबिनेट और एक राज्य मंत्री का भी पद मिलना है। वहीं गठबंधन की सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों को भी कैबिनेट में शामिल किया जाना है। गौरतलब है कि राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को 40, कांग्रेस को 31, जजपा को 11 और निर्दलीयों को सात और इनेलो को दो सीटें मिली हैं। इस सात निर्दलीय विधायकों में छह तो भाजपा के ही बागी विधायक हैं। जिन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया था और इन्होंने बागी होकर चुनाव लड़ा था और पार्टी के प्रत्याशी को हराया था।
लेकिन 27 अक्टूबर को शपथ लेने के बाद अभी तक राज्य की गठबंधन सरकार ने कैबिनेट का विस्तार नहीं किया है। जिसके कारण निर्दलीय विधायक और जजपा विधायकों के लिए समय काटना मुश्किल हो रहा है। वहीं भाजपा के मौजूदा विधायक भी मंत्री के लिए अपनी-अपनी दावेदारी कर रहे हैं। हालांकि माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन के आधार पर ही विधायकों को मंत्री बनाया जाएगा। लेकिन महाराष्ट्र में उलझा भाजपा नेतृत्व अभी तक हरियाणा में कैबिनेट विस्तार को हरी झंडी नहीं दे सका है। हालांकि जजपा का कोटा पहले ही तय हो चुका है। लिहाजा उनके मंत्रियों को महज शपथ ही लेनी है। क्योंकि जजपा के पास चार मंत्रियों के पद आ रहे हैं।