पाकिस्तान में इमरान खान सरकार को वहां की जनता का भारी विरोध झेलना पड़ रहा है। क्योंकि जनता परेशान है और इमरान खान वादे कर रहे हैं और रही सही कसर भारत ने पूरी कर दी है। जिसने पाकिस्तान को दुनियाभर में अलग थलग कर दिया है। जिसके कारण पाकिस्तान को मिलने वारी आर्थिक मदद भी प्रभावित हुई है। यही नहीं पाकिस्तान की विश्व बिरादरी में हैसियत भी कम हुई है।
नई दिल्ली। दुनियाभर में बेइज्जत हो चुके पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के गले की फांस अब आजादी मार्च बन चुका है। पाकिस्तान में इमरान खान सरकार के खिलाफ तेजी से माहौल बन रहा है। क्योंकि जिस तरह के पाकिस्तान ने दुनिया भर में मुंह की खाई है और देश के आर्थिक हालत खराब हो रहे हैं। उसके देखते हुए विपक्षी दलों ने आजादी मार्च निकालने का फैसला किया है। इसके लिए जमियत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल यानी जेयूआई-एफ के चीफ मौलाना फजल ने इमरान खान सरकार के साथ वार्ता रद्द कर दी है। हालांकि उन्होंने कहा कि इस बारे में 24 अक्टूबर को फैसला किया जाएगा।
पाकिस्तान में इमरान खान सरकार को वहां की जनता का भारी विरोध झेलना पड़ रहा है। क्योंकि जनता परेशान है और इमरान खान वादे कर रहे हैं और रही सही कसर भारत ने पूरी कर दी है। जिसने पाकिस्तान को दुनियाभर में अलग थलग कर दिया है। जिसके कारण पाकिस्तान को मिलने वारी आर्थिक मदद भी प्रभावित हुई है। यही नहीं पाकिस्तान की विश्व बिरादरी में हैसियत भी कम हुई है। अमेरिका ने पिछले दिनों साफ कर दिया था कि पाकिस्तान पर कोई भरोसा नहीं करता है।
वहीं कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद कोई कार्यवाही न कर पाने के कारण विपक्षी दल सीधे तौर पर इमरान खान पर आरोप लगा रहे हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि इमरान खान कुछ नहीं कर पा रहे हैं जबकि उनसे पास पाकिस्तानी सेना का भी साथ है। लिहाजा विपक्षी दलों ने इस्लामाबाद तक आजादी मार्च निकालने का फैसला किया है। हालांकि इमरान खान इस मार्च को रोकने के लिए सेना की मदद ले रही है। माना जा रहा है कि अगर विपक्षी दल मार्च के फैसले को रद्द नहीं करते हैं सेना की मदद से इसे रद्द कराया जाएगा। हालांकि सेना भी अभी इसके लिए तैयार नहीं है।
इस मार्च को निकालने वाले जमियत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल ने इमरान खान सरकार के साथ होने वाली प्रस्तावित वार्ता को रद कर दिया। हालांकि इसके लिए उन्होंने 24 अक्टूबर बैठक की घोषणा की है। फजल के इस मार्च को देश की सभी विपक्षी पार्टियां समर्थन दे रही हैं। जिसके कारण इमरान खान की मुश्किलें और ज्यादा बढ़ गई हैं। हालांकि इस मार्च के लिए पहले 27 अक्टूबर की तारीख तय की थी, जिसे बाद में 31 अक्टूबर कर दिया।